राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कहा कि गुजरात में आजादी के समय से ही शराबबंदी लागू है, बावजूद इसके शराब की सबसे अधिक खपत गुजरात में ही होती है। उन्होंने कहा कि वहां घर घर में शराब पी जाती है।
अशोक गहलोत ने उक्त बातें राजस्थान में शराबबंदी की मांग एवं प्रस्तावों के संदर्भ में अपनी बातें कहते हुए कही। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी एक बार शराबबंदी की गई थी, किन्तु बैन असफल साबित हुआ, और फिर बैन हटा लिया गया।
गहलोत ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से वे शराबबंदी के समर्थक हैं, किन्तु जब तक कि कुछ प्रभावी इंतजाम एवं व्यवस्थाएं न कर ली जाएं, तब तक शराबबंदी करने का कोई मतलब नहीं है।
इन सारी बातों के बीच सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा गुजरात के संदर्भ में कही गई बातें सही है ? क्या सच में शराबबंदी के बावजूद गुजरात में शराब की सबसे ज्यादा खपत होती है ? अगर यह बात सही है तो अपने-आप में एक अचरज है, और सभ्य समाज के लिए विचार योग्य विषय है।
किन्तु अगर गुजरात के संदर्भ में गहलोत के आरोप महज राजनीतिक हैं तो इस पर बवाल मचना तय है।
अगर यह डाटा सही भी निकल जाए तो भी राजनैतिक बवाल इसलिए तय है क्योंकि गहलोत ने यह भी कहा है कि गुजरात में घर घर में शराब पी जाती है, और भाजपा शायद ही इस मुद्दे को भुनाने से चूकेगी, क्योंकि इसे मुद्दा बनाने से शराब की अत्यधिक खपत वाले मुद्दे पर उठने वाले सवालों से बचा जा सकेगा।
अशोक गहलोत ने उक्त बातें राजस्थान में शराबबंदी की मांग एवं प्रस्तावों के संदर्भ में अपनी बातें कहते हुए कही। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी एक बार शराबबंदी की गई थी, किन्तु बैन असफल साबित हुआ, और फिर बैन हटा लिया गया।
गहलोत ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से वे शराबबंदी के समर्थक हैं, किन्तु जब तक कि कुछ प्रभावी इंतजाम एवं व्यवस्थाएं न कर ली जाएं, तब तक शराबबंदी करने का कोई मतलब नहीं है।
इन सारी बातों के बीच सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा गुजरात के संदर्भ में कही गई बातें सही है ? क्या सच में शराबबंदी के बावजूद गुजरात में शराब की सबसे ज्यादा खपत होती है ? अगर यह बात सही है तो अपने-आप में एक अचरज है, और सभ्य समाज के लिए विचार योग्य विषय है।
किन्तु अगर गुजरात के संदर्भ में गहलोत के आरोप महज राजनीतिक हैं तो इस पर बवाल मचना तय है।
अगर यह डाटा सही भी निकल जाए तो भी राजनैतिक बवाल इसलिए तय है क्योंकि गहलोत ने यह भी कहा है कि गुजरात में घर घर में शराब पी जाती है, और भाजपा शायद ही इस मुद्दे को भुनाने से चूकेगी, क्योंकि इसे मुद्दा बनाने से शराब की अत्यधिक खपत वाले मुद्दे पर उठने वाले सवालों से बचा जा सकेगा।