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रविवार, 6 अक्टूबर 2019

नकारात्मक मार्केटिंग फंडा ! ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है #Boycott_BigBoss और #जेहादी_बिगबॉस



पटना : रविवार को काफी देर तक ट्विटर पर #Boycott_BigBoss और #जेहादी_बिगबॉस ट्रेंड करता रहा. बिना किसी बात-विवाद के अचानक से इस ट्रेनडिंग से मानो ऐसा लग रहा है जैसे कि यह सब शायद सुनियोजित तरीकों से मार्केटिंग के उद्देश्य से करवाया गया है. हालाँकि मार्केटिंग के उद्देश्य से सोशल मीडिया का उपयोग कोई बुरी बात नहीं है. लेकिन मार्केटिंग के लिए नकारात्मक तरीकों से प्रस्तुत होने की प्रवृति कहीं इस बात की सूचक तो नहीं कि हमारा समाज नकारात्मक प्रवृति की ओर अग्रसर हो रहा है !

यहाँ महत्वपूर्ण सवाल यह है कि नकारात्मक तौर-तरीकों को सीढ़ी बनाकर सफलता तक पहुँचने के प्रयासों को आख़िर किन नज़रियों से देखा जाये ?

क्या ऐसे प्रयास नकारात्मक हो चुके समाज का प्रतिबिंब है ? या ऐसे प्रयासों से समाज में नकारात्मकता एवं नकारात्मकता की स्वीकृति बढ़ती है ? या कि ये दोनों बातें एक-दूसरे का पूरक बनते हुए एक-दूसरे को नकारात्मक दिशा में समृद्ध करती हुई बढ़ती जाती हैं ?

प्रश्न ये भी हैं कि क्या भारतीय समाज में ऐसा पहली बार हो रहा है ? या हमेशा से ऐसा होता रहा है ? पहले और अब में अंतर क्या हैं ? कहीं यह समाज का शाश्वत सत्य तो नहीं ?

बात सिर्फ़ सिनेमा और सीरियल की ही नहीं है, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़ी हुई है. राजनीति हो या व्यवसाय या अन्य किसी भी क्षेत्र की तरफ गौर करें तो नकारात्मक तरीकों से सफलता पाने के प्रयासों के उदाहरण देखने को मिल जाते हैं. साथ ही, उन नकारात्मक प्रयासों से मिली सफलताओं की भी कतारें काफ़ी लम्बी हैं.

व्यवसाय के क्षेत्र में अमेज़न जैसी विश्वस्तरीय कंपनी ने अनेकों बार सुनियोजित ढंग से नकारात्मक प्रचार का सहारा लिया. कंपनी ने कभी चप्पल में महात्मा गाँधी की तस्वीर बना दी, तो कभी देवी-देवताओं की. राजनीति में कूद-फाँद कर, तोड़-फोड़ कर, पिटाई खाकर या किसी को पीट कर - अनेकों बार ऐसे तरीके प्रायोजित भी हुए हैं. सिनेमा की दुनिया में तो चलन जैसा ही बन गया है कि पहले कहानी में कुछ विवादित अंशों को डालो, फिर पोस्टर फड़वाओ, और सिनेमा हिट कराकर खूब पैसा कमाओ.

राजनीति का एक नकारात्मक ट्रेंड यह भी देखने को मिलता रहा है कि ज़्यादातर नेता अपने वोटरों को ज़रूरत की चीज़ें एवं सेवाएँ उपलब्ध कराने की दिशा में मेहनत नहीं करते हैं, बल्कि अपने वोटरों को जाति-धर्म इत्यादि के नाम पर अन्य लोगों से लड़वाकर उन्हें अपने पक्ष में एकजुट बनाए रखने को प्राथमिकता देते हैं.     



किंतु कलर चैनल पर सलमान ख़ान के एंकरिंग में वर्तमान में बिगबॉस का जो सीजन-13 शुरू हुआ है, उसके लिए सोशल मीडिया (ट्विटर) पर जिस प्रकार से नकारात्मक कैंपेन चल रहा है, वह इसी सम्भावना को ज़्यादा बल देता है कि यह नकारात्मक कैंपेन प्रायोजित है. लोगों द्वारा ऐसी गतिविधियों को अपनाना एवं उसके प्रभावों पर चर्चा तो ज़रूरी है ही, साथ-साथ वर्तमान प्रसंग में यह भी सवाल है कि क्या कलर जैसे चैनल एवं सलमान ख़ान जैसे सुपर स्टार को भी नकारात्मक प्रचार की ज़रूरत है ? फिर वे सेलेब्रिटी क्या करेंगे जो बिगबॉस के घर के भीतर हैं !     


(इस आलेख के लेखक पत्रकार धनंजय कुमार सिन्हा है.)


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