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रविवार, 6 अक्टूबर 2019

नारी-शक्ति ही भारत का भविष्य है, बोले नॉबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी



टोंक (राजस्थान) / पटना, 6 अक्तूबर : नॉबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी आज राजस्थान के टोंक जिले में स्थित वनस्थली विद्यापीठ में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुँच चुके हैं. वहाँ पहुँचकर श्री सत्यार्थी ने कहा कि महिला शक्ति को लेकर उनकी जो धारणाएँ थी, वे वनस्थली विद्यापीठ आकर और भी अधिक मजबूत हुई है. उन्होंने कहा की नारी-शक्ति ही भारत का भविष्य है.

वनस्थली विद्यापीठ महिला शिक्षा की राष्ट्रीय संस्था है जो राजस्थान के टोंक जिले की निवाई में स्थित है। जहॉ शिशु कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर तक शिक्षण एंव अनुसंधान कार्य हो रहा है। विद्यापीठ को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 3 के अधीन भारत सरकार द्वारा समविश्वविद्यालय घोषित किया गया है। विद्यापीठ भारतीय विश्वविद्यालय संघ तथा एसोसिएशन ऑफ कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटीज का सदस्य है।



वनस्थली का वातावरण स्वतंत्रता का वातावरण है। छात्राओं को अधिकतम स्वतन्त्रता दी जाती है और उनके व्यक्तित्व के निर्माण का प्रयास किया जाता है। जो छात्रा दो-चार वर्ष वनस्थली में पढ़ लेती है उसके व्यक्तित्व मे वनस्थली की झलक देखी जा सकती है। वनस्थली के विशाल पुस्तकालय में लगभग एक लाख पुस्तकें हैं जिनमें उच्चकोटि के अनेक दुर्लभ ग्रन्थ भी हैं। लगभग 750 पत्रिकाएँ नियमित रूप से आती हैं जिनमें उच्च स्तर की विदेशी पत्रिकाएँ भी हैं। क्षेत्रीय स्तर पर, राज्य के स्तर पर, तथा राष्ट्रीय स्तर पर भी वनस्थली की छात्राएँ खेलकूद के विभिन्न कार्यक्रमों में पुरस्कृत होती है। घुड़सवारी के प्रशिक्षण की यहाँ जो व्यवस्था है वह यहाँ का एक विशिष्ट और सराहनीय पक्ष है। लगभग प्रतिवर्ष ही राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा राजस्थान विश्वविद्यालय की मेरिट लिस्ट में यहाँ की छात्राएँ भी स्थान पाती हैं। वनस्थली का उच्च माध्यमिक विद्यालय देश का प्रथम 'गर्ल्स ऑटोनॉमस स्कूल' है।


 
आज नॉबेल शांति पुरस्कार के विजेता कैलाश सत्यार्थी वनस्थली में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होने पहुँचे. वनस्थली का वातावरण एवं माहौल देखकर उन्होंने कहा कि नारी-शक्ति ही भारत का भविष्य है, उनकी यह धारणा वनस्थली आकर और भी अधिक मजबूत हुई है. 

कैलाश सत्यार्थी को वर्ष 2014 में नॉबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें पाकिस्तान की नारी शिक्षा कार्यकर्ता मलाला युसुफ़ज़ई के साथ सम्मिलित रूप से यह पुरस्कार प्रदान किया गया था.

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