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शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

सिमुलतला में बोले डॉ. राजीव रंजन , साहित्य हमें सुसंस्कृत बनाता है

सिमुलतला (गणेश कुमार सिंह) :
साहित्य हमें सुसंस्कृत बनाता है । आज इसके प्रति उदासीनता का परिणाम ही है कि  मनुष्य मात्र यंत्र बनकर रह  गया है । संवेदना मर रही है । रिश्ते टूटे हुए कांच की तरह बिखर रहे हैं । साहित्य विहीन मनुष्य मात्र अर्थदस्यु बन जाने को ही अपने जीवन का लक्ष्य समझता है ।
 यह आज के समाज , राष्ट्र और संपूर्ण मानवमात्र के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं । उक्त बातें शुक्रवार को को सिमुलतला आवासीय विद्यालय में महाकवि राम इकबालसिंह राकेश 'साहित्य परिषद की द्वितीय वर्षगांठ पर आयोजित 'साहित्य और जीवन' विषय पर मंतव्य देते हुए कवि साहित्यकार व विद्यालय के प्राचार्य डा. राजीव रंजन ने कही । विद्यालय के उपप्राचार्य सह शैक्षणिक प्रमुख सुनील कुमार ने कहा कि महाकवि राकेश  हिन्दी काव्य में मानवतावाद के प्रवर्तक थे । वह हिंदी साहित्य के दधीचि थे । हिन्दी की समृद्धि में उनक बड़ा योगदान है । उन्होंने सबसे बड़ा धर्म पीड़ित मानवता की सेवा को बताया । महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश साहित्य परिषद के दो वर्ष पूरे हो जाने पर परिषद के सदस्य शिक्षकों को साधुवाद देते हुए कहा उन्होंने कहा कि इसके द्वारा आयोजित साहित्यिक -सांस्कृतिक आयोजन छात्रों में साहित्यिक-सांस्कृतिक चेतना को जाग्रत और विकसित करते हैं । इससे उनमें परिवार , समाज और राष्ट्र के प्रति संवेदना जागृत होती है । कार्यक्रम संचालन के क्रम में परिषद के संयोजक व व्यंग्यकार डा. सुधांशु कुमार ने कहा कि महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश का विपुल साहित्य मानवता का संदेश देता है । तभी तो उन्होंने लिखा है कि -' पिघल उठे यदि अंतर मेरा/ उद्वेलित अनजान में / गंगा यमुना फूट बहे तब/ जग के रेगिस्तान में ।'उन्होंने बताया कि साहित्य हमें विपरीत परिस्थितियों से जूझने की शक्ति और दृष्टि देता है । महाकवि राकेश का व्यक्तित्व और रचना संसार दोनो समृद्धि के उत्तुंग शिखर पर प्रतिष्ठित है । हिन्दी शिक्षिका कुमारी नीतू ने साहित्य को चारित्रिक समृद्धि का प्रथम सोपान बतलाते हुए कहा कि साहित्य हमारे आचरण में मनुष्यता का समावेश करता है ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में  छात्र छात्राओं के बीच श्रुतिलेख प्रतियोगिता आयोजित की गयी जिसमें प्रथम स्थान अंकित , सिंधुप्रिया , सलोनी , नीतीश तनुप्रिया व यशवंत ने द्वितीय स्थान अवधेश , आकाश , रोहित  मानस , अर्पिता , सत्यम , आभा एवं शनि ने  तृतीय स्थान निर्मल , अमीषा ने प्राप्त किया ।  तृतीय सत्र में   अंतर्सदनीय आशुकाव्यलेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई  जिसके परिणाम की घोषणा पखवारा समापन से एक दिन पूर्व की जाएगी । इस अवसर पर , रंजय कुमार , डा. जयंत कुमार , डा. प्रवीण कुमार सिन्हा , अनीता मिश्रा , विनोद कुमार यादव , प्रज्ञेश बाजपेयी , शशिकांत मिश्रा , विजय दुबे , राधाकांत कुमार  आदि शिक्षक मौजूद थे । स्वागत संबोधन डा. जयंत कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन रंजय कुमार ने दिया ।

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