सेंट्रल डेस्क [अपराजिता] :
"या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।"
इस श्लोक का मूल अर्थ है जो देवी सब प्राणियों में माता रूप से स्थित है उन्हें नमस्कार है, नमस्कार है, बारंबार नमस्कार है।
इस श्लोक का मूल अर्थ है जो देवी सब प्राणियों में माता रूप से स्थित है उन्हें नमस्कार है, नमस्कार है, बारंबार नमस्कार है।
कल से यह मंत्र चहुँओर गुंजायमान रहेगा। जी हां, कल महालया है। आज आप gidhaur.com के द्वारा जानेंगे कि महालया क्या है? यह क्यों मनाया जाता है? यह कब मनाया जाता है? महालया का इतिहास क्या है? महालया का मूल अर्थ कुल देवी-देवता व पितरों का आवाहन है। 15 दिनों तक पितृपक्ष रहने के बाद महालया के दिन सभी पितरों का विसर्जन होता है।
कब मनाया जाता है महालया
महालया आश्विन मास की अमावस्या को मनाया जाता है। नवरात्रि के ठीक पहले जो अमावस्या होती है उसे ही महालया कहते हैं। इस अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहते हैं। महालया की सुबह पितरों की विदाई की जाती है और शाम में मां दुर्गा की पूजा आराधना करते हुए या प्रार्थना की जाती है कि वह धरती पर आए और अपने भक्तों को आशीर्वाद दें। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आकर असुर - शक्तियों से हम सबों की रक्षा करती हैं। इस दिन मां दुर्गा के साथ भगवान गणेश, कार्तिकेय, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती समेत सभी देवी-देवता अपने भक्तों के कल्याणार्थ धरती पर आते हैं। यह दिन देवी पक्ष की शुरुआत तथा पितृपक्ष का अंत भी माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार महालया के दिन सुबह जल्दी उठकर देवी मां की पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा जरूरतमंदों तथा गरीबों को भोजन करवानी चाहिए। महालया के अगले दिन से ही दुर्गा पूजा अर्थात नवरात्रि की शुरुआत होती है जो 10 दिनों तक चलती है।
महालया आश्विन मास की अमावस्या को मनाया जाता है। नवरात्रि के ठीक पहले जो अमावस्या होती है उसे ही महालया कहते हैं। इस अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहते हैं। महालया की सुबह पितरों की विदाई की जाती है और शाम में मां दुर्गा की पूजा आराधना करते हुए या प्रार्थना की जाती है कि वह धरती पर आए और अपने भक्तों को आशीर्वाद दें। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आकर असुर - शक्तियों से हम सबों की रक्षा करती हैं। इस दिन मां दुर्गा के साथ भगवान गणेश, कार्तिकेय, देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती समेत सभी देवी-देवता अपने भक्तों के कल्याणार्थ धरती पर आते हैं। यह दिन देवी पक्ष की शुरुआत तथा पितृपक्ष का अंत भी माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार महालया के दिन सुबह जल्दी उठकर देवी मां की पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा जरूरतमंदों तथा गरीबों को भोजन करवानी चाहिए। महालया के अगले दिन से ही दुर्गा पूजा अर्थात नवरात्रि की शुरुआत होती है जो 10 दिनों तक चलती है।
महालया का इतिहास
आदिकाल में महिषासुर नामक एक दैत्य हुआ करता था जो बड़ा ही क्रूर, विनाशकारी, अधर्मी तथा अत्याचारी था। महिषासुर को वरदान मिला था कि कोई भी देवता अथवा पुरुष उसका वध नहीं कर पाएगा। वरदान पाकर महिषासुर ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया जिसमें महिषासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली। महिषासुर के अत्याचार से सभी देवता परेशान हो गए और विष्णु भगवान के पास गए महिषासुर से रक्षा के लिए सभी देवताओं ने विष्णु के साथ आदिशक्तिरूपा मां जगदंबा की आराधना की। इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से दिव्य प्रकाश निकला जिसने देवी का रूप धारण कर लिया। सभी देवताओं ने देवी को अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। दुर्गा ने 9 दिनों तक महिषासुर से भीषण युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है।
आदिकाल में महिषासुर नामक एक दैत्य हुआ करता था जो बड़ा ही क्रूर, विनाशकारी, अधर्मी तथा अत्याचारी था। महिषासुर को वरदान मिला था कि कोई भी देवता अथवा पुरुष उसका वध नहीं कर पाएगा। वरदान पाकर महिषासुर ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया जिसमें महिषासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली। महिषासुर के अत्याचार से सभी देवता परेशान हो गए और विष्णु भगवान के पास गए महिषासुर से रक्षा के लिए सभी देवताओं ने विष्णु के साथ आदिशक्तिरूपा मां जगदंबा की आराधना की। इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से दिव्य प्रकाश निकला जिसने देवी का रूप धारण कर लिया। सभी देवताओं ने देवी को अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। दुर्गा ने 9 दिनों तक महिषासुर से भीषण युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है।
बंगाल में क्यों महत्वपूर्ण है महालया
बंगाल में इसी दिन मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार उनकी आँखें बनाते हैं और उनमें रंग भरने का कार्य करते हैं। इस कार्य की शुरुआत भी विधि - विधान के साथ की जाती है। इस वर्ष 28 सितंबर, शनिवार के दिन महालया है। नवरात्रि 29 सितंबर दिन रविवार से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक है। विजयदशमी 8 अक्टूबर को है। माता रानी आप सबों को स्वस्थ, सानंद रखें तथा आपकी मनोकामना पूर्ण करें। जय माता दी। पतसन्डे वाली माता की जय।
बंगाल में इसी दिन मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार उनकी आँखें बनाते हैं और उनमें रंग भरने का कार्य करते हैं। इस कार्य की शुरुआत भी विधि - विधान के साथ की जाती है। इस वर्ष 28 सितंबर, शनिवार के दिन महालया है। नवरात्रि 29 सितंबर दिन रविवार से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक है। विजयदशमी 8 अक्टूबर को है। माता रानी आप सबों को स्वस्थ, सानंद रखें तथा आपकी मनोकामना पूर्ण करें। जय माता दी। पतसन्डे वाली माता की जय।
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