नवंबर में 10 व दिसम्बर में 5 विवाह शुभ मुहूर्त, चतुर्मास में धार्मिक अनुष्ठान की प्रधानता...
पटना | अनूप नारायण :
शादी-विवाह की शहनाइयां बजने के बाद चातुर्मास का शुभारंभ 12 जुलाई को हरिशयन एकादशी के बाद से हो जायेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान चार माह तक भगवान विष्णु शयन करने हेतु क्षीर सागर में चले जाते है। इस अवधि में शादी-विवाह, मुंडन, जनेऊ, नामकरण और दीक्षा संस्कार वर्जित माने जाते है। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान अधिक होते है। चातुर्मास में सनातन धर्मावलंबियों के लिये इन्ही चार माह में दशहरा,तीज,रक्षाबंधन, छठ पूजा आदि पर्व त्यौहार होते है।
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने पंचांगों के हवाले से बताया कि सनातन धर्मावलंबियों के शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त 11 जुलाई तक ही है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि 12 जुलाई से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानि 8 नवंबर के समयावधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्य नहीं किये जाते है।
शादी-विवाह की शहनाइयां बजने के बाद चातुर्मास का शुभारंभ 12 जुलाई को हरिशयन एकादशी के बाद से हो जायेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान चार माह तक भगवान विष्णु शयन करने हेतु क्षीर सागर में चले जाते है। इस अवधि में शादी-विवाह, मुंडन, जनेऊ, नामकरण और दीक्षा संस्कार वर्जित माने जाते है। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान अधिक होते है। चातुर्मास में सनातन धर्मावलंबियों के लिये इन्ही चार माह में दशहरा,तीज,रक्षाबंधन, छठ पूजा आदि पर्व त्यौहार होते है।
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने पंचांगों के हवाले से बताया कि सनातन धर्मावलंबियों के शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त 11 जुलाई तक ही है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि 12 जुलाई से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानि 8 नवंबर के समयावधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्य नहीं किये जाते है।
भगवान विष्णु पाताल लोक में करते है निवास
ज्योतिषी पंडित झा के अनुसार चातुर्मास के दौरान साधु-संत, महात्मा एक जगह से दूसरे जगह की यात्रा नहीं करते है। विष्णु पुराण के मुताबिक इन चार माह में भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवास करते है। चातुर्मास के देवता व संचालन कर्ता भगवान भोलेनाथ होते है। वृहत संहिता के अनुसार सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने के साथ चातुर्मास का आरंभ हो जाता है।
श्रीहरि को प्रिय कर्क लग्न में हरिशयन एकादशी
वैदिक पंडित राकेश झा शास्त्री के मुताबिक हरिशयन एकादशी के दिन प्रातः 05 :40 बजे से 07 :58 बजे तक श्रीहरि के प्रिय कर्क लग्न विद्यमान रहेगा। कर्क लग्न में ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का अवतरण हुआ था। यह समय गुरु तथा चंद्रमा के लग्न से उत्तम स्थिति, आध्यात्मिक भाव, मन की शांति, आनंद व मनोकामना पूर्ति करने वाला है। भगवान राम ने भी रावण वध के पूर्व चातुर्मास में एकांत सेवन और धर्म का जागरण किया था।
शुभ मुहूर्त के लिए ये है जरूरी
शादी के शुभ मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु तथा मीन लग्न में से किसी एक का रहना जरूरी है। वहीं रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र, उत्तरा आषाढ़ में एक नक्षत्र कि उपस्थिति अनिवार्य है। सर्व उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा और हस्त नक्षत्र का रहना जरूरी है।
इस वर्ष के वैवाहिक शुभ मुहूर्त
जुलाई : 5, 6, 7,8, 9,1 0, 11
नवंबर : 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 28, 29, 30
दिसंबर : 5, 6,7, 11, 12
जुलाई : 5, 6, 7,8, 9,1 0, 11
नवंबर : 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 28, 29, 30
दिसंबर : 5, 6,7, 11, 12
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