[gidhaur.com | रवि कश्यप] :-
कहानियाँ तो बहुतों बनती हैं और कई सुनी जाती हैं और उन कहानियों को जो पूरा करते हैं वही कामयाब होते हैं, वहीं असल जीवन के हीरो होते हैं दरअसल इतिहास लिखने वालों पर ही कहानियां और प्रेरक प्रसंग गढ़ी जाती है,
लिखी जाती है उन्हीं कहानियों को सच कर दिखाने वालों में से एक नाम है संतोष पांडेय जिनपर हर कहावतें फिट बैठती हैं।
जी हां ऐसी ही कामयाबी की एक कहानी आज हम आपके सामने लेकर आये हैं जिससे सपने सच कर दिखाना और कामयाब होने जैसे मंत्र आपको मिलेंगे।
आज की ख़ास रिपोर्ट में पढ़ें आचार्य संतोष कुमार पांडेय के बारे में।
संतोष कुमार पांडेय एक ऐसा नाम जो आज एक पहचान बनती जा रही है एक ऐसा नाम जो अपनी कामयाबी की मिशाल पेश कर कई लोगों की नकारात्मक जुबाँ पर ताला लगा दिया। लेकिन अगर उम्र के फ़्लैश बैक में जाएं तो यही असाधारण शख्स एक आम से भी आम थे।
» संघर्ष और ताने की कहानी «
चूंकि आपको बता दूं कि आचार्य संतोष कुमार पांडेय मूलतः जमुई जिले के कटौना गाँव के पांडेय टोला के निवासी हैं जो आज पश्चिम बंगाल के कल्याणेश्वरी में रहते हैं।
वो बचपन से ही 60 फ़ीसदी दिव्यांग है जिसको लेकर कई लोग ताने मारते रहते थे जिन्हें लोग लंगड़ा घोड़ा कह के चिढ़ाया करते थे और तो और उनको देख कर लोग जोर जोर से कहते थे लंगड़ा घोड़ा और लंगड़ा बेटा किसी काम का नहीं।एक आम बच्चा शायद ये सुन नहीं पाता और न ही सह पाता लेकिन बचपन से ही संतोष पाण्डेय जी में अद्भुत सहन शक्ति थी वो बचपन में ही समझ गए थे कि लोगों को जबाब मुँह से नहीं बल्कि मेरा वक्त देगा,और हुआ भी कुछ ऐसा ही वे हमेशा मानते थे कि इंसान तन से दिव्यांग हो सकता है मन से नहीं और उन्होंने ये दिखा भी दिया खुद को साबित करके वही संतोष पांडेय जो कभी दिव्यांग होने की वज़ह से कमजोर की श्रेणी में गिने जाते थे आज वही संतोष के जीवन में एक सफल और संतोषजनक जीवन की परिभाषा है।
उनकी संघर्ष गाथा यहीं ख़त्म नहीं होती उनके बचपन के दिन को जब याद किया जाता है तो और भी भावनाओं को झकझोर देती है एक समय था जब वो महज़ 7 साल के थे तो उनकी माता जी का निधन हो गया,सबकी तरह एक कहानी सौतेली माँ की जैसी उन्हें भी फटकार मिली और उन्हें एक माँ का प्यार न मिल सका लेकिन कहा जाता है न कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत उन्हीं कहानियों की जैसी अपनी बुलन्दियों को हमेशा मज़बूत किये बस आगे बढ़ते रहे वो किसी भी उन झोकों से न रुके न झुके न शिकायत किया किसी से बस बढ़ते गए बढ़ते गए और आज एक मिशाल हैं सभी लोगों के लिए जो जीवन की समस्या और संघर्ष से डर कर अपने जीवन से हार मान लेते हैं आज उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं आचार्य संतोष कुमार पांडेय।
» कामयाबी की एक झलक,जमुई के लाल «
वही संतोष पांडेय जिसे बचपन मे लंगड़ा घोड़ा कहा जाता रहा वही घोड़ा कामयाबी की पथ पर इतना तेज़ी से दौड़ा की सभी के सभी पीछे छूट गए। उनकी कामयाबी को यहाँ गिनाना समंदर से एक लोटा जल निकालने के बराबर है फिर भी उनकी कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हम बताते हैं जिसमे ये निम्न उल्लेखनीय हैं-
1). बनाये गए हैं राष्ट्रीय सचिव «
जमुई जिले के कटौना निवासी आचार्य संतोष कुमार पांडेय उर्फ फुच्चू बाबा जी को अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी हिंदी परिषद के द्वारा उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी हिंदी परिषद के संस्थापक सह चेयरमैन श्री हृदय नारायण मिश्रा के हाथों उन्हें प्रमाण पत्र देकर इस पद पर नियुक्त किया गया।
2. ज्योतिष में गोल्ड मेडल
आपको बता दें कि आचार्य संतोष पांडेय एक बेहतरीन ज्योतिशाचार्य भी हैं उन्हें ज्योतिष विद्या में गोल्ड मेडल भी मिला है।जिसके बाद कई नेता मंत्री उन्हें अपना निजी ज्योतिषी के रूप में मार्गदर्शन ले रहे हैं।
3. मिला कला रत्न पुरस्कार
2018 में श्री पांडेय को राजस्थान के जयपुर शहर में कला रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया,आपको बता दें कि समाजसेवा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए यह अवार्ड उन्हें दिया गया।आचार्य श्री पांडेय को ये अवार्ड राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम छाबड़ा और दयाराम मिश्र के हाथों दिया गया।
साथ ही उनको बधाई देने के लिए राजस्थान के पूर्वमंत्री बाबूलाल नगर दिल्ली से जयपुर आये थे।
4. बेस्ट लीडरशिप का ऐलान..
दिल्ली के चाणक्य होटल में श्री पांडेय को बेस्ट लीडरशिप अवार्ड से नवाजा गया।यह अवार्ड सेफ शॉप नेटवक मार्केटिंग के तत्वावधान में दिया गया।
5. मिला दो राज्यों का पदभार-
आचार्य संतोष कुमार पांडेय जी को सामाजिक संस्था राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं बाल विकास आयोग के पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष बनाया गया है साथ ही बिहार प्रभारी का जिम्मा भी इन्हें सौंपा गया है।
आज आचार्य संतोष पांडेय जी उन सभी युवाओं के लिए मिशाल हैं हम सभी युवाओं को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
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