< सिमुलतला | बीरेन्द्र कुमार >
प्रखंड मुख्यालय से लगभग बीस किलोमीटर की दुरी पर स्थित गरीब किसानो की बाहुल्य आबादी वाली गांव लीलाबरन में स्थित लिप्ट एरिगेशन प्लांट वर्षों से अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है। जिसपर ना क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की नजर है और ना ही सरकारी अधिकारियों की।
इस संदर्भ में वहां के ग्रामीण सीताराम यादव, लिलो यादव, नारो यादव, तालेवर यादव, अभिमन्यु यादव, महावीर ठाकुर, बिस्टु राय, कार्तिक ठाकुर, सुगदेव ठाकुर, बबुआ यादव आदि का कहना है कि सन् 70के दशक में स्थानीय ग्रामभारती सर्वोदय आश्रम नामक एक स्वयं सेवी संस्थान के माध्यम से उक्त एरिगेशन लिप्ट इस गांव में लगाया गया था। लिप्ट से पूरे गांव की सिंचाई होती थी गांव के चहु ओर हरियाली ही हरियाली दिखती थी, गांव के लोग बहुत खुशहाल हो गए थे, और लगभग 15-20 वर्षो तक यहाँ के किसानो ने कृषि क्षेत्र में बहुत सोहरत हासिल किया, लेकिन दिन प्रतिदिन मरम्मती के आभाव में यह प्लांट खराब होता चला गया।
अंततः यह पूरी तरह बंद हो गया, और गांव में पुनः बदहाली छा गई , वर्तमान में यहां के नए युवक अपने जीवकोपार्जन के लिए राज्य के अन्य प्रान्तों में मजदूरी करते है और गांव के वृद्ध किसान उक्त एरिगेशन लिप्ट को कोष कोष कर हरियाली के पुराने किस्से सुनाते रहते है। लोगों का कहना है कि कृषि विकास के लिए सरकार द्वारा निरंतर योजनाए संचालित की जा रही है काश कृषी एवं सिचाई विभाग की नजर इस प्लांट पर पड़ती, तो सायद इस गांव की खोई हरियाली वापस आ जाती।
इस संदर्भ में प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजदेव रंजन का कहना है कि गांव के किसान अपनी समस्या से सम्बंधित एक आवेदन लघु सिचाई विभाग को दे और एक प्रति मुझे भी उपलब्ध कराए मै प्रयास करूंगा की पुनः यह एरिगेशन प्लांट खेतो को पानी देने में सक्षम हो जाए।
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