[सेवा| शुभम् कुमार]
आज गिद्धौर प्रखण्ड सहित आसपास के क्षेत्रों मे करमा का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ आस्थापूर्ण तरीके से मनाया जा रहा है. बताते चले कि करमा झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का एक प्रमुख त्यौहार है , जिसे बिहार मे भी हर समुदाय और वर्ग के द्वारा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मुख्य रूप से यह त्यौहार भादो (लगभग सितम्बर) मास की एकादशी के दिन और कुछेक स्थानों पर उसी के आसपास मनाया जाता है. इस पर्व पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ट्विट कर शुभकामनाएं भी दी.
बता दे कि कर्मा पर्व भाई-बहन का पर्व है जो हमें एक अनूठे पहलू से परिचित करवाता है जिस प्रकार रक्षाबंधन में जहाँ भाई, बहन कि रक्षा की प्रतिज्ञा करता है, वहीं करमा पर्व में बहन, भाई कि रक्षा कि प्रण लेती है.
पाठकों को बताते चले कि इस पर्व में बहनें पूरे दिन उपवास पर रहती है फिर रात मे पूजन करती है. इस पूजा में प्राकृति को आराध्य देव मानकर पूजा कि जाती है, इस दौरान बर्तन मे बालू भरकर बड़े ही कलात्मक ढंग से सजाया जाता है और करम डाइर और जावा (जौ) कि पूजा होती है. रात भर आदिवासी गीत, झूमर और नृत्य का दौर चलता है. दूसरे दिन सुबह में पूजन कार्य समाप्त होने के बाद करम डाल को पूरे धार्मिक रीति रिवाज से तालाब, पोखर या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है. इस पर्व को लेकर बच्चों में बडे़ ही खुशी और उत्सव का माहौल देखा जाता है.