गिद्धौर : प्रखंड का यह पंचायत भवन बना खंडहर, जनप्रतिनिधि घरों से निबटाते हैं काम


       [न्यूज डेस्क | अभिषेक कुमार झा]

वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार जहां पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए नित नए उपाय तलाश कर पंचायतों में विकास के लिए लाखों की राशि दे रही है, वहीं गिद्धौर प्रखंड के धोबघट स्थित कोल्हुआ पंचायत भवन कार्यालय जर्जर अवस्था में अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है।

भवन के खिड़की, दरबाजे तो टूटे है ही वही भवन भी पूरी तरह खंडहर बन गया है। कभी-कभी इस जर्जर पंचायत भवन में जानवरों का अड्डा देखा जाता है।
आलम यह है कि सन् 1992-93 में निर्मित उक्त पंचायत भवन जाने के लिए एक अदद सड़क भी नही है, खेत की मेड़ से ही लोग आते जाते हैं। वहीं धोबघट वासियों को पंचायत भवन के अभाव में काफी असुविधाएं होती है।

केवल पंचायतवासी ही नहीं बल्कि कोल्हुआ पंचायत के जनप्रतिनिधिगण भी पंचायत के कार्यों के संचालन के लिए किसी भवन के नहीं होने के कारण अपने घरों पर ही कार्य करने को विवश हैं। इस पंचायत की जनता को जब भी किसी काम को करवाने की आवश्यकता पड़ती है तो उन्हें जनप्रतिनिधि के घर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। वहीं पंचायत के प्रतिनिधिगण झोले में मुहर, इंकपैड, लेटर पैड, फ़ाइल आदि लेकर घूमते हैं ताकि जब भी जहाँ भी जरूरत पड़े काम निबटा दिया जाए।

धोबघट के 13 नं. वार्ड स्थित इस पंचायत भवन को दुरूस्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों का रवैया मौन देखा जा रहा है। उपेक्षा का शिकार यह भवन ढहने की कगार पर आ खड़ा हुआ है। दीवारों से प्लास्टर झड़ रहे हैं और ईंटों का मार्का भी नजर आने लगा है।

हलांकि गिद्धौर का यह गांव कोल्हुआ पंचायत अंतर्गत आता है, पर बताया जाता है कि एक समय में उक्त पंचायत का हर कार्यालय कार्य इसी भवन में होता था।
खैर जो भी हो, बिहार के मुख्यमंत्री सूबे में विकास की बयार बहने की बात करते हैं, चहुंओर सड़क, पुल-पुलिया, स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण भी कराया जा रहा है। परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी धोबघट जैसे जगहों पर विकास की बात बेमानी सी लगती है।

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