
[gidhaur.com | अलीगंज/जमुई] :- जिले के अलीगंज प्रखंड के दक्षिणी जंगल क्षेत्र के पहाड़ पर अवस्थित बाबा औलिया (उड़हुआ बाबा) का मजार वर्षो से सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है। अलीगंज प्रखंड का अति प्राचीन धरोहर औलिया बाबा का प्रसिद्ध मजार आज भी दुर-दुर तक अपनी प्रसिद्धी का परचम लहरा रही है। बुजुर्ग लोग बताते हैं कि मजार का निर्माण लगभग 350 वर्ष से भी पहले हुआ था ऐसा लोग बताते हैं। प्रखंड के कोदवरिया पंचायत के अंतर्गत यह उडुहूआ पहाड़ के सबसे उंची चोटी पर बाबा का मजार है। यहां जुमे व जुमेरात के दिन काफी संख्या में महिला पुरष पूजा अर्चना को लेकर काफी भीड़ जुटती है। यहां हिन्दु-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग काफी संख्या पूजा करने आते हैं।ऐसा लोगों का मानना है कि सच्ची मन माँगी गई मिननते अवश्य पुरी होती है। प्रखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर है, और 2 पंचायत पुरसंडा और कोदवरिया दोनों पंचायत से मजार तक जाने की रास्ता है ।दोनों तरफ से श्रद्धालुओ को आने का रास्ता है। यह पहाड़ हरे -भरे पेड़ों से आच्छादित मनोरम लगता है। श्रद्धा पुरी होने पर लोग यहां चादरपोशी करने आते हैं।

यहां सप्ताह के तीन दिन सोमवार,गुरूवार,शुक्रवार को इबादत करने बड़ी संख्या में यहां आते हैं। बाबा के दरबार तक पहुंचने के लिए पहाड़ की उची चोटी पर उखड़ खाबड पहाड़ पर जाने का रास्ता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पेयजल की यहां सबसे बड़ी समस्या है।पानी के अभाव में दुर-दराज से आनेवाले लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मोजावर मो. रज्जाक का कहना है कि बाबा के दरबार में वर्षो से जुमे और जुमेरात को काफी भीड़ लगती है। जमुई के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड समेत दुर-दराज के लोग यहां बाबा की इबादत के लिए आते हैं। वे कहते हैं कि सबसे आश्चर्य की बात है कि यहां पर काफी संख्या में मुस्लिम एवं हिन्दू भाई बड़े ही श्रद्धा के साथ ढोल बाजे के साथ बाबा के दरबार में फरियाद कर सच्चे हृदय से मन्नते मांगते हैं और उनकी मुरादें पूरी होती है।
पाठकों को बता दें कि, रमजान का पाक महीना चल रहा है, ऐसे में उपेक्षित इस मजार से इबादत करने में मुसलमान भाइयों में कुछ तमन्नाएं अंदर से अधुरी रह जाती है।