
[गिद्धौर| अभिषेक कुमार झा] :- मुख्यमंत्री जी की सबसे महत्वपूर्ण योजना पर कुछ असामाजिक तत्व अपनी रोटी सेंकते नजर आ रहे हैं। इस तथ्य का साक्षी बनना हो तो गिद्धौर पंचमंदिर के समीप तसरीफ लाइए ।
एक समय था जब यहां से प्रतिदिन श्रद्धालु जल भर कर भगवान् को अर्पित करते थे। साथ ही महिलाएं बर्तन-कपड़े साफ़ करती थीं। लेकिन तकरीबन एक महीने पहले इस नल को उत्पाती तत्वों ने तोड़ दिया है।
परिणामस्वरूप पिछले 1 महीने से पांच मंदिर के सामने वाले टंकी वाले नल से अखंड पानी की बर्बादी हो रही है।
खबर से अवगत करते चलें कि करीब 4 सप्ताह से भी अधिक समय से यह नल टूटा पड़ा है। जिसपर अभी तक कुछ सम्बंधित लोगों की नजर गई है पर गतिविधियाँ मौन दिखाई पड रही है।
हलांकि उक्त मामले को gidhaur.com की पड़ताल में 9 फरवरी को उजागर किया गया था पर महज पांच दिन बाद भी प्रतिनिधियों के कानों तले जूं भी न रेंगना एक बड़ा सवाल खड़ी कर रही है।
एक समय था जब यहां से प्रतिदिन श्रद्धालु जल भर कर भगवान् को अर्पित करते थे। साथ ही महिलाएं बर्तन-कपड़े साफ़ करती थीं। लेकिन तकरीबन एक महीने पहले इस नल को उत्पाती तत्वों ने तोड़ दिया है।
परिणामस्वरूप पिछले 1 महीने से पांच मंदिर के सामने वाले टंकी वाले नल से अखंड पानी की बर्बादी हो रही है।
खबर से अवगत करते चलें कि करीब 4 सप्ताह से भी अधिक समय से यह नल टूटा पड़ा है। जिसपर अभी तक कुछ सम्बंधित लोगों की नजर गई है पर गतिविधियाँ मौन दिखाई पड रही है।
हलांकि उक्त मामले को gidhaur.com की पड़ताल में 9 फरवरी को उजागर किया गया था पर महज पांच दिन बाद भी प्रतिनिधियों के कानों तले जूं भी न रेंगना एक बड़ा सवाल खड़ी कर रही है।
- सम्बंधित खबर के लिए -"क्लिक करें"
लिहाजा वर्तमान में सत्ता के शिखर पर बैठे हुए लोग भी आलोचना के शिकार हो जाते हैं। पंचायत में विकास कार्य की रफ्तार का अंदाजा इस लहजे से लगाया जा सकता है कि प्रत्येक दिन हजार लीटर पानी की बर्बादी हो रही है और उसे मूकदर्शक बन देखा जा रहा हैं।
*मिलेनियम स्टार फाउंडेशन ने पंचायत प्रतिनिधियों का किया ध्यानाकृष्ट*
"उक्त संसाधन की बर्बादी को संवेदनशील बताते हुए सामाजिक संस्था मिलेनियम स्टार फाउन्डेशन के अध्यक्ष सुशान्त सांईं सुन्दरम् ने पतसंडा पंचायत के मुखिया पति का ध्यान आकृष्ट किया जिसपर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने उक्तवर्णित स्थल पर जल्द ही नल लगाकर जल की बर्बादी पर अंकुश लगाई जाएगी।"
इतना ही नहीं ऐसे मुद्दों पर जब कोई आम इंसान आवाज उठाता है तो उसे भी राजनीतिक अमलीजामा पहना दिया जाता है। एक पुरानी कहावत है -"बून्द बून्द से घडा भरता है" ऐसे में यदि इसी तरह बिना नल के इस अनमोल संसाधन की बर्बादी होती रही तो आने वाले 5-10 साल में उक्त कहावत व्यंग्य सिद्ध होकर रह जाएगी।
(न्यूज़ डेस्क) | 15/02/2018,गुरुवार