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रविवार, 7 जनवरी 2018

शिक्षाविद ई. एस. मिश्रा को फिजिक्स ने दिलाई पहचान

Gidhaur.com (विशेष) : बिहार के बेगुसराय जिले के लोहियानगर निवासी 42 वर्षीय सुतीक्ष्ण मिश्रा यानी ई. एस. मिश्रा बिहार के निजी कोचिंग जगत का एक जाना माना नाम है. फिजिक्स के अच्छे जानकारों में शुमार सुतीक्ष्ण साल 2013 में उस वक़्त सुर्खियों में आये जब इनके पढ़ाये 38 छात्र आईआईटी में सफल हुए और इसके साथ ही मिश्रा ने बिहार के कोचिंग जगत में एक नई लकीर खींच दी. जानकार बताते है की सुतीक्ष्ण आरम्भ से ही मेघावी छात्र थे ऐसे में साल 2004 में संघ लोक सेवा आयोग द्धारा आयोजित इन्जीनीरिंग सर्विस परीक्षा में भारत में सोलहवा स्थान प्राप्त कर मिश्रा ने प्रदेश का मान बढ़ाया.

सुतीक्ष्ण के पिता रामचंद्र मिश्रा उन दिनों बिहार सरकार में बतौर अभियंता कार्यरत थे और वे चाहते थे की उनका पुत्र प्रशासनिक सेवाओं में जाए और परिवार के साथ साथ देश का भी मान बढाए लेकिन तब तक सुतीक्ष्ण शिक्षण के क्षेत्र में आने का मन बना चुके थे. हमेशा कुछ नया करने की चाहत ने सुतीक्ष्ण को इनफॉर्मल शिक्षा की ओरे खींचा और साल 2005 में राजधानी पटना से इन्होने ई. एस. मिश्रा फिजिक्स क्लासेस के नाम से एक निजी कोचिंग की शुरुआत की और फिर देखते ही देखते कामयाबी इनके कदम चूमने लगी. इधर पटना पहुंचे आईआईटी और मेडिकल आदि प्रवेश परीक्षाओं की तैयारियों में लगे छात्र-छात्राओं की संख्या इस संस्थान में तेज़ी से बढ़ने लगी और फिर ई. मिश्रा ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा. पटना की कोचिंग जगत में उच्च कोटि के शिक्षक के रूप में अपना नाम दर्ज़ करवा चुके ई. एस.मिश्रा ने छात्र-छात्राओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर साल 2009 में "प्रैक्टिस प्रॉब्लम्स इन फिजिक्स" नामक पुस्तक लिखी जिसका प्रकाशन देश के प्रसिद्ध प्रकाशक टी.एम.एच ने किया.

साल 2016 में ई. एस. मिश्रा ने गरीबी रेखा से नीचे ज़िन्दगी बसर कर रहे गरीब छात्रों की शिक्षा को ध्यान में रखकर सुतीक्ष्ण फाउंडेशन के बैनर तले "शिक्षा मंदिर" के नाम से एक स्वयं सेवी संस्था की नीव रखी जिसके तहत प्रत्येक वर्ष दशवीं कक्षा से मेडिकल या इन्जीनीरिंग एंट्रेंस तक पंद्रह छात्रों का सम्पूर्ण खर्च उठाया जाने लगा ताकि पैसों के आभाव में इन गरीबों की पढ़ाई बाधित न हो. 

ई. मिश्रा द्धारा संचालित प्राइम टीयूटर्स एंड प्राइम प्लेसमेंट प्रा.लि कंपनी ने आज इनके छात्रों को रोजगार के भी कई अवसर प्रदान किये हैं. नौकरी के इच्छुक छात्र उपरोक्त कंपनी में अपना आवेदन करते है और योग्यतानुसार यह कंपनी उन कंपनियों तक इन अभ्यर्थियों को पहुंचा देती है जिन्हे इनकी जरुरत है.

बहरहाल, बिहार के कोचिंग जगत में "मास्टर ऑफ़ फिजिक्स" के नाम से मशहूर इस शख्स ने अपने छात्रों के बीच ज्ञान का जो दीपक जलाया है, उससे इतना तो कहा ही जा सकता है की "कदम चुम लेगी खुद चलकर मंज़िल, मुसाफिर गर अपनी हिम्मत न हारे.

अनूप नारायण
पटना         |        07/01/2018, रविवार

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