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अलीगंज प्रखंड में लचर हुई शिक्षा व्यवस्था, खानापूर्ति करते हैं शिक्षक

Gidhaur.com (विशेष) : जिले के अलीगंज प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों शिक्षा व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। सरकारी स्कूलों में पूर्ण रूप से पढ़ाई नही होने के कारण प्रखंड क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह प्राईवेट स्कूल खुल रहे हैं। प्राइवेट स्कूल मनमानी फीस, पठन-पाठन के सामग्री स्कूल के द्वारा बेचकर मनमानी ढंग से ज्यादा रुपये लेकर स्कूल चला रहे हैं। बिना रजिस्ट्रेशन के स्कूल का संचालन किया जा रहा है। जिससे सरकार को लाखो रुपये का चुना लग रहा है। स्कूल संचालक पर प्रशासन या शिक्षा विभाग के अधिकारी की ओर से कोई करवाई नही हो रही है। सवाल यह उठता है कि प्राईवेट स्कूल की मनमानी करने वाले लोगों पर क्यों नहीं होती करवाई? क्या अधिकारी की मिलीभगत से इस तरह के गैर कानूनी कार्य हो रहे है?

सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है कि BPLपरिवार के बच्चे को कम फीस लेकर पढ़ाना है। जब की कई लोगों ने बताया कि प्राईवेट स्कूल में किसी तरह की सुविधा BPL परिवार के बच्चों को नही मिलती है और फीस की राशि भी इतनी बड़ी है कि उसे चुकाने में कमर टूट जा रही है। इस तरह की स्थिति रहने से गरीब, मजदूर  किसान के बच्चे के सपने पूर्ण हो पाएंगे या एक सपना बनकर रह जायेगा? यह एक बड़ा प्रश्न है। आखिर गरीबी से गुजरने वाले परिवार के अभिवावक के बच्चे की सपना कैसे पूर्ण हो पाएंगे। सरकारी स्कूलों में पूर्ण रूप से पठन पाठन नही हो पा रहा है।
अलीगंज प्रखंड के अधिकांश सरकारी स्कूलों के शिक्षक स्कूलों में आकर सिर्फ खाना पूर्ति करते है। कई अभिभावकों ने बताया कि कई ऐसे विद्यालय हैं जो समय से नही खुलते है और शिक्षक सिर्फ अपना उपस्थिति बनाकर, कोरम पूरा कर स्कूल में समय से पहले बंद कर बाजार निकल जाते हैं। यह उनकी प्रतिदिन की नियति बन चुकी है। सरकारी विद्यालय के शिक्षक स्वयं अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं। ऐसे में गरीब परिवार के बच्चे का सपना सिर्फ सपना बन कर ही रह जायेगा। फिर कैसे कहे कि बच्चे भारत के भविष्य के निर्माता है? इस गम्भीर समस्या पर न तो सरकार, न ही अधिकारी, न ही शिक्षा विभाग द्वारा कोई पहल होती है।

बिहार की शिक्षा व्यवस्था बद से बदतर हो गई है। बिहार के शिक्षा मंत्री बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन उनकी विभाग की जाँच पड़ताल करने पर सारी बातें खुल कर आ रही है कि शिक्षा विभाग के कार्य प्रणाली मे लचर व्यवस्था है। शिक्षा व्यापार का अड्डा बन गया है। जिसमे कोई भी अछूता नही है। शिक्षक से लेकर शिक्षा विभाग तक शामिल हैं। आज बिहार में 6 माह गुजर गये लेकिन अभी तक बच्चों को किताब नही मिली है तो फिर कैसे बच्चे परीक्षा दे पायेंगे। बाजार में भी किताब नही मिलती है कि बच्चे खरीद सके। फिर तो शिक्षा विभाग परीक्षा के नाम पर खानापूर्ति करेगी। गरीब परिवार के बच्चों के भविष्य से शिक्षा विभाग खिलवाड़ कर रही है। सवाल उठता है कि कब सुधार होगी बिहार की शिक्षा व्यवस्था में? कब पूर्ण होंगे गरीब, मजदूर, किसान के बच्चों के सपने? कैसे कहे कि गरीब परिवार के बच्चे भारत के भविष्य के निर्माता होंगे?

इस सन्दर्भ में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी विद्यानंद सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शिकायत मिली है जांचकर स्कूल से फरार रहने वाले शिक्षको पर कारवाई की जाएगी।

चन्द्रशेखर सिंह
अलीगंज, जमुई       |     14/10/2017, शनिवार

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