छपरा : परिवारवाद और काली कमाई पर तीखा चोट मारा है राजनेता राजीव सिंह ने - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - SR DENTAL, GIDHAUR

सोमवार, 16 अक्टूबर 2017

छपरा : परिवारवाद और काली कमाई पर तीखा चोट मारा है राजनेता राजीव सिंह ने

Gidhaur.com (राजनीति) : छपरा की राजनीति में राजीव सिंह का जाना पहचाना नाम है। आज उन्हीं के शब्दों में उनकी मन की बात यहाँ पढ़ें।

भाई नेताओं का वही पुराना शब्द जो मुझे लगता है। ये नेता बोलते-बोलते भले ही न थकें लेकिन जनता उनकी बातें सुनते-सुनते जरुर थक गई है। धर्म निरपेक्ष, समाजवाद, पिछड़े-शोषित की लडाई लड़ने वाले और न जानने खुद को क्या-क्या बताते हैं। लेकिन अपने फायदे के लिए सब भूल जाते है। ये कभी नही बताते की विधायक, सांसद, मंत्री बनने के पहले उनके पास कुर्सी भी न थी। लेकिन पद मिलने के बाद ना जाने कहाँ से इतना पैसा आ जाता है कि सात जन्मो की कमाई से भी अधिक रहता है। भाई जनता को भी तो बताओ। आखिर मंत्री, सांसद बनते ही क्या और कैसे हो जाता है ये? क्या तब पिछड़े-शोषित नजर नही आते? राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण क्या यही कह गये कि सारे नीति-सिद्धान्त को भूल कर केवल अपने बारे मे सोचो और कुछ नही? जनता और गरीबों को केवल वोट बैंक के रूप मे इस्तेमाल करो। आज इसके साथ तो कल उसके साथ। आज वह चोर कल तुम चोर। केवल अपने फायदे के लिए रोज नये रिश्ते बनाते रहो और कुछ नही। कल वो चाचा, मामा, भाई और आज पहचानते तक नहीं। यही राजनीति है। बस और कुछ नही। अपने फायदे के लिए खुद को धर्म निरपेक्ष, समाजवाद, पिछड़े-शोषित के नेता बताने वाले कौन है और कौन नही इसकी भी परिभाषा खुद ही तय करें। जिसके साथ है वो महान लेकिन बाकी विपक्ष के सब चोर!

नेतागण अपने हिसाब से बोलते हैं। कभी कहेंगे देश टूट रहा है और कभी अपने हिसाब से कहेंगे देश जुड़ रहा है। आम लोगो को नहीं बल्कि नेताओं को ही हर समय लगता है की देश टूट रहा है। केवल बड़ी-बड़ी बातें करेंगे लेकिन देश की रक्षा नहीं कर सकते।

इन फसादों की मूल वजह और कुछ नही, कुर्सी की बिमारी है। हर कोई कुछ न कुछ लूटने की फिराक मे है।जनता जाग चुकी है और नौजवान अब होशियार हो गये है। दादा-पोता, माँ-बेटा और विरासत की राजनीति  अब नही चलेगी। अब वही देश और जनता पर राज करेगा। जो सबका विकास और सबका साथ चाहेगा। न मँडलवाद होगा और न कमँडलवाद। अब मँडल और कमँडल मिलकर देश चलायेंगे। इसके बाद ही देश और दुनिया विकास के रास्ते पर अग्रसर होगा। न जात-पात, न धर्म की। बात होगी केवल इंसानियत की। तभी जाकर देश और देश की जनता विकास के पथ पर आगे जायेंगे।

संकलन - अनूप नारायण
16/10/2017, सोमवार
[Edited by - Sushant]
www.gidhaur.com

Post Top Ad -