एक तरफ जहाँ शासनकर्ता बिहार को उत्तम राज्य बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं, वहीं इस राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के जर्जर एवं गड्ढों में तब्दील हो जाने से जनता को आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग भी जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। दर्जनों जानलेवा गड्ढे मौत को दावत दे रहे हैं। प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना के कारण कई वाहन चालकों की मौत हो जाती है। फिर भी जन प्रतिनिधियों और सम्बंधित अधिकारीयों का ध्यान जानलेवा गड्ढों और टूटती सडकों को भरने की तरफ नहीं है। पूर्व में भी हमने कई गांवों की सड़कों की जर्जर हालत पर ध्यानाकृष्ट करने का प्रयास किया है। आइए देखतें हैं और भी विभिन्न सड़कों की दुर्दशा का क्या आलम है।

शुरूआत करते हैं जिला मुख्यालय जमुई से जहाँ न्यायालय, समाहरणालय सहित कई सरकारी कार्यालय स्थित हैं, साथ ही जमुई लोकसभा एवं विधानसभा दोनों ही क्षेत्र है। कई कॉलेज यहाँ स्थित हैं जहाँ जिलाभर के बच्चे पढ़ने आते हैं। इन्हीं कॉलेजों में एक है सरस्वती अर्जुन एकलव्य महाविद्यालय। लेकिन इस कॉलेज की ओर जाने वाली एक मात्र सड़क की बदहाली का यह हाल है कि बरसात का मौसम नहीं भी हो तो सड़क पर पानी जमा रहता है। वजह यह है कि ओर जाने वाली सड़क पर नाली का पानी हमेशा बहते रहता है। जिससे इस रास्ते पैदल और गाड़ी से भी आने-जाने वाले को असुविधा होती है। अन्य दिनों तो नाली का पानी बहते ही रहता है लेकिन बारिश होने के बाद स्थिति और भी भयावह हो जाती है। लिहाजा, कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों और इस रास्ते में रहने वाले स्थानीय निवासियों को इस गंगा-जमुना-सरस्वती का संगम स्थल पार कर ही आगे जाना पड़ता है।(मुकेश कुमार यादव)

गिद्धौरिया बोली में अपनी कविताओं से लोगों को भावविभोर कर देने वाले कवि श्री ज्योतिंद्र मिश्र मागोबंदर गांव के स्थायी निवासी हैं। गिद्धौर प्रखंड के अंतर्गत आने वाले मांगोबन्दर गांव जाने वाले मुख्य सड़क की तरफ आप जैसे ही बढ़ेंगे आपको गांव में एक छोटी पुलिया पर बीचोबीच विशाल गड्ढा देखने को मिल जाएगा। जो हर समय मौत को खुला आमंत्रण दे रहा है। मोरम वाले सड़क का यह हाल है कि बरसात के बाद कीचड़ से सड़क पर फिसलन हो जाती है जिससे दुपहिया-चार पहिया वाहन एवं टेम्पो चालकों के जरा सी असावधानी बरतने पर बड़ी घटना घट सकती है। स्थानीय निवासियों व चालकों का कहना है कि सड़क इतना जीर्ण-शीर्ण हो चूका है कि दोपहिया वाहन चलाने में भी असुविधा होती है। नए वाहन चालक तो जरूर इस गड्ढे में गिरकर गच्चा खा सकते हैं। बल्कि यूँ कहें कि एक ओर जहाँ मांगोबंदर की सड़क अपने उद्धारकर्ता की बाट जोह रहा है वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा सिर्फ गड्ढों को घेरा बनाकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री मान लिया गया है।(अक्षय कुमार सिंह)

यूं तो दिन-प्रतिदिन केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का दंभ भरती है। हमारे राज्य सरकार द्वारा भी जिला मुख्यालयों को 4-लेन से जोड़ने का दावा किया जा रहा है, परंतु कुछ जगहों पर NH-333 की वर्तमान स्थिति उनके दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। गिद्धौर से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-333 का सूरत-ए-हाल इन तस्वीरों से जाहिर हो रहा है। बिहार-झारखंड-बंगाल को जोड़ने वाले इस मुख्यमार्ग में जगह-जगह जानलेवा गड्ढे हो गए हैं। स्थानीय प्रबंधन गड्ढों को भरने तक की जहमत नहीं उठाते। इस रास्ते प्रतिदिन सैंकड़ों बड़ी-छोटी गाड़ियों का आवागमन होता है। लेकिन सड़क जर्जर होने के कारण यात्रियों की सुगम यात्रा में असुविधा होती है।

गिद्धौर-झाझा मुख्यमार्ग के विभिन्न जगहों पर सड़क में गड्ढे हो गए हैं। सड़कों की जर्जरता का आलम यह है कि कई जगह पूरी तरह से टूट चुकी है लिहाजा बडे वाहनों के साथ दो पहिया और साइकिल सवारों का आना-जाना भी दूभर है। राजमार्ग पर बने गड्ढे इतने भयावह है कि उनके उदासीनता की गहराई का अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता है। अगर चालक ने थोड़ी सी सावधानी नहीं बरती तो वाहन का गड्ढे में असंतुलित होना तय है। देर शाम अँधेरा होते यह स्थिति और भी खतरनाक बन जा रही है। जर्जर सड़क के कारण सफर तय करने में लोगों को कई घंटे लग जा रहे हैं। वाहनों की जो दुर्दशा होती है उसे तो वाहन मालिक ही जानते हैं। दशा इतनी खराब है कि इन सड़कों से गुजरने वालों को काफी मशक्कत उठानी पड़ती है। यह कहना कतई अनुचित नहीं होगा कि केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन के अनदेखी की वजह से इस सड़क से सफर करने वाले लोगों की जान जोखिम में रहती है। (अभिषेक कुमार झा)
~गिद्धौर | (15/06/2017, गुरुवार)
प्रेरक वचन - लाखो किलोमीटर की यात्रा एक कदम से ही शुरू होती है।
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