प्रसिद्ध लेखक चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित एक नई फ़िल्म आ रही है, "हाफ गर्लफ्रेंड"। इस फ़िल्म का एक गाना "ये मौसम की बारिश, ये बारिश का पानी", हर किसी की ज़ुबान पर है। लेकिन जब गिद्धौर में बारिश हुई तो परेशानियों का कारण बन गई। जी हाँ, अचानक मौसम का मिजाज बदलने व रविवार रात एवं सोमवार दोपहर हुई बारिश से गिद्धौर बाजार में भीषण कीचड की स्थिति बन गई। लार्ड मिंटो टावर से राजमहल एवं सार्वजनिक पुस्तकालय जाने वाली सड़क पर कीचड़ में कई वाहन सवार एवं पैदल लोग फिसले और चोटिल हुए। इन रास्तों में जलभराव व कीचड़ होने की वजह से वाहनों का निकलना और पैदल चलना मुश्किल हो गया। यहाँ केवल गड्ढे ही नहीं हैं बल्कि सड़कें कीचड़ से पूरी तरह सनी हुई है, जिस पर पैदल चलना तो दूर वहां वाहन चलाना भी खतरों से खाली नहीं है। गिद्धौर बाजार में मिटटी, धुल और कचड़ों को बीच सड़क पर फेंक दिए जाने की वजह से बारिश होने पर यह कीचड़ से भर जाती है। सोमवार दोपहर हुई बारिश से सड़कें कीचड़ से लबालब हो गई, जिससे लोगों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। सड़कों पर कीचड़, मिटटी व गड्ढों की हालत बन जाने से लोगों की परेशानियों में इज़ाफ़ा हुआ है। गिद्धौर की मुख्य सड़कें और गलियां बारिश के बाद पूरी तरह से कीचड़नुमा हो गई है। गिद्धौर में नए पानी टंकी के निर्माण के बाद पाइपलाइन बिछाने का काम भी लगा हुआ है, जिस वजह से सडकों व गलियों में खुदाई की गई है और इसका मलबा भी सड़कों पर रखा हुआ है, जिससे लोगों को कीचड़ का सामना करना पड़ रहा है। जबकि कई सड़कों की नालियां जाम होने की वजह से सड़कों ने तालाब का रूप धारण कर लिया है। गिद्धौर की सड़कें पानी की पाइपलाइन बिछाने के कारण उखाड़ी गई है, जिससे यहाँ की सड़कों व गलियों में मिटटी भर गई है और थोड़ी सी बारिश में पानी सड़कों पर जमा हो जाता है या फिर सड़कों पर पड़ी मिट्टी से कीचड़ भरी सड़कों का लोगों को सामना करना पड़ता है।

इस बात पर विशेष ध्यान दें की गिद्धौर बाजार की ओर से गई मुख्य सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग 333 के रूप में चिन्हित है लेकिन दुखद यह है की इस राजमार्ग पर जमने वाले पानी के निकलने का कोई रास्ता नहीं है। यहाँ तक की मुख्य सड़क के किनारे नाली तक भी नहीं है। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से सड़कों पर बारिश का पानी जमा हो जा रहा है। इसकी वजह से राहगीरों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा ग्राम पंचायत व प्रखंड के पदाधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जलजमाव का आलम यह है कि थोड़ी सी बारिश होने पर भी मुख्य मार्ग सहित बाजार में पानी जमा हो जाता है। लार्ड मिंटो टावर के चारो ओर भी रोड में पानी भरा है। इधर से जाने वाली सड़कों में कई जगह गड्ढे भी हैं, जिनमें पानी भर जाने पर दिखाई नहीं पड़ते और गाड़ियों के पहिये इन पर पड़ने से इनका गंदा पानी राहगीरों व आसपास मौजूद लोगों पर छींटक कर पड़ता है। अन्य रास्तों में नालियां तो बनी है पर इसमें से पानी की निकासी नहीं होती। इसकी वजह से नालियों में गन्दा पानी हमेशा जमा रहता है। इससे यातायात भी प्रभावित होता है, साथ ही दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। इन कीचड़ भरे सड़कों से होकर गुजरते तो सभी आम और ख़ास हैं लेकिन इस पर अब तक किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है। जाने कब तक सत्ताधीश एवं उच्च ओहदों पर विराजमान गणमान्य मूकदर्शक बने रहेंगे।
(सुशान्त साईं सुन्दरम)
~गिद्धौर | 02/05/2017, मंगलवार
(Adv.)