यदि आप किउल-जसीडीह रेलखंड पर रेल यात्रा कर रहे हैं और गिद्धौर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही आपको पानी की आवश्यकता हुई तो आपको पानी लेने के लिए स्टेशन परिसर के बाहर जाना होगा। जी हाँ, गिद्धौर रेलवे स्टेशन में लगा चापाकल कई महीनों से खराब है। इस वजह से प्रतिदिन सैंकड़ों रेल यात्रियों को इस भीषण गर्मी में पेयजल की समस्या झेलनी पड़ रही है। अप एवं डाउन दोनों ही प्लेटफॉर्म पर चापाकल तो लगे हैं लेकिन वो अब केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं। चूँकि गिद्धौर कस्बाई इलाका है तो इसके अंदर कई ग्रामीण क्षेत्र आते हैं जिससे कि गिद्धौर रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन दूर-दराज के गांवों के लोग भी यात्रा करते हैं। लेकिन इस चिलचिलाती गर्मी में सूखे गले को तर करने के लिए पीने के पानी की समुचित व्यवस्था न होना परेशानी का कारण बन चुका है। यूँ तो अप प्लेटफॉर्म पर प्रतीक्षालय के ठीक बगल में पानी के नल भी लगे हैं लेकिन कई बार उनमें भी पानी नहीं आता। कुछ नल सही से बंद नहीं होते जिस वजह से पानी की भी बर्बादी होती है।
(Adv.)
पिछले वर्ष स्थानीय सांसद चिराग पासवान ने भी दानापुर रेल प्रमंडल के डीआरएम सहित गिद्धौर रेलवे स्टेशन का दौरा किया था। इस दौरान स्थानीय लोगों ने स्टेशन परिसर में पीने के पानी की व्यवस्था करवाने के सम्बन्ध में भी सांसद का ध्यानाकृष्ट किया था। लेकिन उनके आश्वासन के बावजूद भी इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया। रेल प्रबंधन द्वारा भी अब तक ख़राब पड़े चापाकलों को ठीक नहीं कराया गया। बताते चलें कि एक ओर जहां इस रेलवे स्टेशन को विकसित करने के लिए गिद्धौर का राजनीतिक सियासत गरम है, वहीं दूसरी ओर स्टेशन पर लगे चपाकल आज भी जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये का दंश झेल रहे हैं।
अब देखना यह है कि नमी इस चापाकल के सतह पर कायम रहती है या प्रतिनिधियो के चेहरे पर !
(यह स्वरचित आलेख अभिषेक कुमार झा द्वारा www.gidhaur.blogspot.com के लिए लिखी गई है एवं कहीं और प्रकाशित/प्रसारित नहीं हुई है)
~गिद्धौर | 08/05/2017, सोमवार