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असामाजिक तत्वों का अड्डा बना मंदिर परिसर



गिद्धौर अंतर्गत अवस्थित अधिकांश मंदिर परिसर वर्तमान में असामाजिक तत्वों का अड्डा बनकर रह गया है। जिससे क्षेत्र के श्रद्धालुओं को इन मंदिरों में पूजा-पाठ करने में घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
बताते चलें कि गिद्धौर के पंचमंदिर, बाबा बुढ़ानाथ मंदिर, बजरंग बली मंदिर जैसे प्राचीन व प्रतिष्ठित देवस्थलों में दिन भर गंजेड़ियों, नशेड़ियों व जुआ खेलने वालों की जमात लगी रहती है। जिससे दिन-ब-दिन मंदिर की प्रतिष्ठा धूमिल होती जा रही है।
इन मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए आने वाले श्रद्धालु, विशेष कर महिलाएं अब आने में कतराने लगी हैं। शाम हो या सुबह दिन भर इन मंदिरों में असामाजिक तत्व गांजे व भांग के नशे में धुनि रमाये रहते हैं, जिस वजह से महिला श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना करने में असहजता महसूस होती है।
प्रशासनिक स्तर पर इन मंदिरों को असामाजिक तत्वों से मुक्त करने की कवायद की जाए तभी मंदिर की खोई प्रतिष्ठा को प्रतिस्थापित किया जा सकेगा। दरअसल, शराबबंदी कानून के सख़्ती से लागू होने के बाद नशेड़ियों ने गांजा व भांग को नशा ग्रहण का साधन बनाया है, जो कि शराब से भी ज्यादा घातक है।
सदियों पूर्व से चले आ रहे हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार मंदिर परिसर में नशापान कर प्रवेश करना घोर पाप माना जाता है, इस तरह के घृणित कार्य बंद होने के बाद ही तमाम ऐतिहासिक मंदिरों की प्रतिष्ठा बचाई जा सकेगी। यदि स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या पर विशेष ध्यान नहीं दिया तो, जल्द ही हमारी आस्था नशे की गिरफ्त में आ जाएगी।
(अभिषेक कुमार झा)
~गिद्धौर
16/04/2017, रविवार
(Adv.)

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