【न्यूज़ डेस्क (शुभम मिश्र) 】:- कोरोना संक्रमण में लागू लॉकडाउन में न्यायिक कार्यवाही जारी रखने हेतु सुझाव देते हुए सुरक्षित तरीके से उसे सुचारू करने की गुहार जमुई सिविल कोर्ट के अधिवक्ता अमित कुमार ने माननीय उच्च न्यायालय पटना के मुख्य न्यायाधीश से लगाई है।
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Adv Amit Kumar |
इस बाबत अधिवक्ता अमित कुमार ने बताया कि माननीय न्यायालय भी रोस्टर वाइज़ न्यायिक पदाधिकारियों की व्यवस्था कर रही है, जिससे वे लोग सेवा देते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं।हमलोगों के इस कार्यविरत होने से अतिमहत्वपूर्ण न्यायिक कार्यवाही ठप्प पड़ गयी है। बहुत सारे ऐसे भी कैदी हैं जो ज़मानत पर छुट सकते थे पर न्यायालय में न्यायिक कार्य ठप रहने से, उनकी न्यायिक प्रक्रिया बाधित हो गई है। अगर ज़मानत की प्रक्रिया फ़िर से सुचारू कर दिया जाय तो दर्जनों ज़मानत हेतु विचाराधीन कैदी रिहा हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक प्रक्रिया राष्ट्रीय एवं वित्तीय आपात में भी जारी रखा जाता है ताकि संविधान में प्रदत्त मूल अधिकार से कोई वंचित न हो।
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अधिवक्ता अमित ने कहा कि राष्ट्रीय आपात में अनुच्छेद 21 हमें प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार निलंबित होने से रोकता है। संविधान में कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका एवं पत्रकारिता को महत्वपूर्ण स्तंभ माना गया है। हमसभी अधिवक्तागण एवं न्यायालय के सहकर्मी भी न्यायपालिका के अभिन्न अंग हैं। हम सभी को इस लाॅकडाउन के दौरान अपने कार्यों से विरत किया गया है क्योंकि हमसभी में कोई कोरोना से संक्रमित न हो जाये।
ध्यातव्य हो कि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ दिन पूर्व बंदियों की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए पेरौल पर छोड़ने का मार्ग प्रशस्त किया था। उन्होंने बताया कि इन तमाम सुझावों पर अगर माननीय मुख्य न्यायाधीश ने विचार किया तो सभी को इसका समुचित लाभ मिलेगा और कार्य भी निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने आवेदन में यह भी कहा कि जमुई मंडलकारा में बंदियों को रखने की कुल क्षमता 184 पुरूषों एवं 04 महिलाओं की है, बावजूद इसके वर्तमान में 395 पुरूष एवं 15 महिलाएं न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध हैं।
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- अधिवक्ता अमित द्वारा उच्च न्यायलय को निरूपित किये गए मुख्य सुझाव -
■ न्यायालय कर्मी पूर्ण सुरक्षात्मक संसाधनों को
अपनाते हुए कार्यालय में आयें एवं निर्धारित दूरी पर
अपने मुवक्किल को बैठने का प्रबंध करे।
■ जिला विविध संघ एवं ज़िला सत्र न्यायालय के
मुख्य द्वार पर पूरे शरीर को सेनेटाइज करने हेतु
सेनेटाइजेशन यंत्र की स्थापना की जाय ।
■ न्यायालय कार्यवाही में बिना मुवक्किल के
अधिवक्ता स्वयं उपस्थित हो सकें।
■ टेलिकांफ्रेंसिंग या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बहस की जाय या निर्णय दिया जाय,जो अपने आवास पर
रह कर भी किया जा सकता है।
■ जमानत हेतु मंडलकारा से निर्गत कागजात को
सेनेटाइज करवाने की व्यवस्था की जाय जिससे
संक्रमण का खतरा नहीं होगा ।