शुरू हो रहा है सोनपुर मेला, पढ़ें रोचक जानकारी - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - Sushant Sai Sundaram Durga Puja Evam Lakshmi Puja

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

शुरू हो रहा है सोनपुर मेला, पढ़ें रोचक जानकारी



धर्म एवं आध्यात्म [अनूप नारायण] :
एशिया का प्रसिद्ध सोनपुर मेला इस सप्ताह से शुरू हो रहा है। मेले के साथ-साथ यहां पर लोग भगवान हरिहरनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तो लाखों लोग गंडक नदी में स्नान करते हैं। मंदिर में पूजा करते हैं। पढ़ें मंदिर से जुटी कुछ रोचक जानकारी।

● मंदिर का इतिहास

सोनपुर के गंडक नदी के किनारे हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया
था। जनकपुर जाने के दौरान रामजी सोनपुर के गंगा-गंडक के संगम तट पर कुछ दिन विश्राम किए थे। उसी समय भगवान श्रीराम ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी ।

● देश में इस तरह की कोई प्रतिमा नहीं

हरिहर क्षेत्र को मंदिरों का नगर कहते है। गंडक के दोनों किनारे पर छोटे-बड़े करीब 50 मंदिर और मठ हैं। हरिहरनाथ मंदिर सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर में हरि और हर की संयुक्त मूर्ति लगी है। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि देश के किसी दूसरे हिस्से में इस तरह की कोई मूर्ति नहीं है।

गज और ग्राह का हुआ था युद्ध
हरिहर क्षेत्र पौराणिक कथा गज-ग्राह युद्ध से भी जुड़ा है। उस समय गंडकी नदी में गज-ग्राह का लंबा युद्ध चला था। गजेंद्र अपनी हथिनियों के साथ नहाने के लिए उतरे तो नदी में एक ग्राह ने उसका पैर पकड़ लिया। दोनों में कई वर्षों तक युद्ध चला। गजेंद्र जब पराजित होने लगे तो भगवान विष्णु को पुकारा। तब भागवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन कोनहारा घाट के पास ग्राह का वध किया था।

● पूरी होती है मनोकामना

प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर एक माह का मेला लगता है। गंडक में नहाकर लोग बाबा हरिहर नाथ मंदिर में पूजा करते हैं। कहा जाता है कि यहां पर बाबा लोगों की मांगी गई मन्नते पूरा करते हैं। हरिहर क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि यह चिंतन का केंद्र भी रहा है।

● मंदिर की सालाना आय 70 लाख रुपए

श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफे से मंदिर की आय में प्रत्येक साल बढ़ोतरी हो रही है। इससे मैनुअल लेखा-जोखा में मंदिर न्यास समिति को भारी परेशानी हो रही थी। इस कारण से समिति ने मंदिर से जुड़े सभी प्रबंधन को कंप्यूटरीकृत कर दिया है। वर्तमान में मंदिर की सालाना आय लगभग 70-75 लाख रुपए के करीब है।

Post Top Ad -