गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 27 अक्टूबर 2025, सोमवार : लोकआस्था और अनुशासन के प्रतीक छठ महापर्व के तीसरे दिन सोमवार की शाम गिद्धौर प्रखंड श्रद्धा और भक्ति के महासागर में डूब गया। सूर्यास्त से पूर्व घाटों पर हजारों श्रद्धालु अपने परिवार के साथ पहुंचे और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। छठ गीतों की गूंज, दीपों की झिलमिलाहट और जल में झलकते सूर्य के प्रतिबिंब ने पूरे वातावरण को पवित्र बना दिया। व्रती महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर छठ मईया की आराधना की और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
दउरा और सूप में सजाए गए प्रसाद ठेकुआ, फल, नारियल और दीया के साथ उन्होंने पूरे विधि-विधान से सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। घाटों पर छठ मइया के जयकारे और केलवा जे फरेला घवद से... कांच ही बांस के बहंगिया... जैसे लोकगीतों की मधुर लहरियों ने पूरे गिद्धौर को भक्ति रस में डुबो दिया। गिद्धौर प्रखंड के दुर्गा मंदिर घाट, महावीर मंदिर घाट, रानी बगीचा घाट, कलाली घाट, गंगरा घाट, सेवा आहर सहित दर्जनों छोटे-बड़े घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। हर घाट को फूलों, झालरों और दीपों से आकर्षक ढंग से सजाया गया था। जल में दीपों की रोशनी और सूर्य की अंतिम किरणों ने मिलकर एक दिव्य दृश्य उत्पन्न किया।
वहीं, प्रशासनिक स्तर पर भी इस पावन पर्व को लेकर सुरक्षा और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की गई थी। गिद्धौर थाना पुलिस के साथ-साथ पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने मिलकर घाटों की सफाई, चूना छिड़काव, प्रकाश व्यवस्था और पेयजल की सुविधा सुनिश्चित की। भीड़ प्रबंधन और यातायात नियंत्रण के लिए जगह-जगह जवानों की तैनाती की गई थी।
रतनपुर, कुंधुर, सेवा, मौरा, कोल्हुआ पतसंडा जैसे पंचायतों के घाटों पर भी आकर्षक साज-सज्जा और अनुशासित व्यवस्था देखने को मिली। घाटों के किनारे महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की भीड़ उमड़ी रही। श्रद्धालुओं ने बताया कि वर्षों से चली आ रही यह परंपरा अब गिद्धौर की पहचान बन चुकी है, जहां हर घर में छठ की तैयारी पूरे उत्साह से होती है। स्थानीय श्रद्धालुओं ने कहा कि छठ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि परिवार, समाज और पर्यावरण से जुड़ाव का उत्सव है। यह पर्व आत्मसंयम, स्वच्छता और कृतज्ञता की भावना का प्रतीक है। छठ की महिमा इस बात में है कि यह पर्व हर वर्ग, हर समुदाय को एक सूत्र में बांध देता है।
संध्या अर्घ्य के बाद श्रद्धालु घर लौटे और अब मंगलवार की भोर में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में जुट गए हैं। इस दौरान गिद्धौर की हर गली, हर मोहल्ला और हर घाट से भक्ति का प्रकाश फैलता दिखाई दे रहा है। वास्तव में, इस समय गिद्धौर आस्था की राजधानी बन चुका है, जहां हर घाट से छठ मइया के जयकारे गूंज रहे हैं, हर घर से प्रसाद की सुगंध उठ रही है और हर हृदय में आस्था का दीप प्रज्वलित है। यह नजारा न केवल छठ की भक्ति का, बल्कि बिहार की जीवंत लोकसंस्कृति और सामाजिक एकता का भी अनुपम प्रतीक है। आज मंगलवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ व्रत का समापन हो जाएगा।





