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मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

बाबा कोकिलचंद धाम गंगरा में जगमगाए 1008 दीप, मंदिर निर्माण ने पाई नई ऊँचाई

गंगरा/गिद्धौर (Gangra/Gidhaur), 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार : प्रकाश, ज्ञान और अच्छाई की विजय का प्रतीक पर्व दीपावली न केवल घर-आंगन को जगमगाता है, बल्कि यह मानव जीवन में सकारात्मक सोच, एकता और प्रेम का दीप भी प्रज्वलित करता है। इसी संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से बाबा कोकिलचंद धाम, गंगरा में वर्ष 2014 से शुरू की गई ग्राम सामूहिक दीपावली महोत्सव की परंपरा अब एक ऐतिहासिक जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। इस वर्ष यह महोत्सव अपनी 11वीं कड़ी में प्रवेश कर गया, जहाँ पूरे गांव ने एक साथ दीप जलाकर भक्ति और सौहार्द की मिसाल पेश की।

दीपावली का संदेश, प्रकाश से अंधकार का नाश
दीपावली का पर्व हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा सा दीप भी उसे मिटा सकता है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का संदेश देता है। समाज में एकता और सहयोग की भावना जगाने का यही प्रेरक माध्यम है।

बाबा कोकिलचंद धाम में 1008 दीपों से जगमगाया परिसर
गंगरा स्थित बाबा कोकिलचंद धाम में हर वर्ष की भांति इस बार भी 1008 दीपों से पूरे मंदिर परिसर को आलोकित किया गया। सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन के बाद बाबा कोकिलचंद की सोमवारी आरती का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। आरती के दौरान “जय बाबा कोकिलचंद” के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय बन गया।
मंदिर निर्माण बना प्रेरणा का प्रतीक
ग्राम सामूहिक दीपावली महोत्सव की शुरुआत वर्ष 2014 में उस समय हुई थी, जब बाबा कोकिलचंद मंदिर निर्माण कार्य दो वर्षों से ठप पड़ा था। तब ग्रामवासियों ने यह निश्चय किया कि सामूहिक दीपावली मनाकर मंदिर निर्माण के प्रति जनजागरूकता और सहयोग की भावना जगाई जाए। इस प्रयास ने आज अद्भुत परिणाम दिए हैं, मंदिर का निर्माण कार्य लगभग 90 फीट ऊंचाई तक पहुँच चुका है।

बाबा कोकिलचंद धाम की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान
यह धाम न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि जमुई जिले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी पहचान रखता है। यह स्थान बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद, पटना से निबंधित है, और इसका कार्यकारी अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी, जमुई हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि राज्य सरकार यदि इस स्थल को पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करे, तो यह पूरे प्रदेश के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बन सकता है।

बाबा कोकिलचंद के त्रिसूत्र मंत्र बने समाज के लिए मार्गदर्शन
बाबा कोकिलचंद के अनुयायी समाज सुधार के लिए उनके बताए तीन मुख्य सिद्धांतों का पालन करते हैं —

1. शराब से दूर रहना
2. अन्न की रक्षा करना
3. नारी का सम्मान करना

ये तीन सूत्र न केवल धार्मिक शिक्षा हैं, बल्कि सामाजिक उत्थान के लिए एक सशक्त संदेश हैं।
दीपावली महोत्सव के प्रमुख आकर्षण
90 फीट ऊँचे निर्माणाधीन मंदिर गुम्बज शिखर पर चौमुखी दीप प्रज्वलन
बाबा कोकिलचंद की पारंपरिक आरती एवं भजन संध्या
समाजिक एकता और सद्भाव का संदेश देने वाला विचार मंच
ग्रामीणों द्वारा समर्पण और सहयोग का अद्भुत उदाहरण

समाजिक एकता का प्रतीक बना आयोजन
इस महोत्सव के माध्यम से बाबा कोकिलचंद विचार मंच ट्रस्ट ने समाज में एकता, प्रेम और सहयोग की भावना को प्रबल किया। ट्रस्ट के संयोजक सह मंदिर समिति के सचिव चुन चुन कुमार ने सभी ग्रामीणों को दीपावली की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह आयोजन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और नई पीढ़ी को संस्कार देने का माध्यम है।
उन्होंने इस अवसर पर मनोज सिंह मनमौजी, पिंटू कुमार, इंजीनियर अमित कुमार, शंकर कुमार, छोटू कुमार, राघवेंद्र पांडेय उर्फ लालू जी, अभिषेक वत्सायन, सुमित कुमार (बांका), मुकेश सिंह (जेएमएस इंटरप्राइजेज), अंकित कुमार सहित सभी ग्रामवासियों के योगदान की सराहना की। कार्यक्रम के सफल आयोजन में उमाशंकर सिंह, मनोहर सिंह, संजय सिंह,अंकित वत्स, आनंद कौशल सहित अन्य ग्रामीणों का समर्पित योगदान रहा।

इस प्रकार, गंगरा गांव में मनाया गया यह 11वां ग्राम सामूहिक दीपावली महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि समाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति की जीवंत परंपरा को भी उजागर किया।

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