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शनिवार, 13 सितंबर 2025

गिद्धौर के मौरा गांव में बाल विवाह उन्मूलन को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भरी हुंकार

मौरा/गिद्धौर (Maura/Gidhaur), 13 सितंबर 2025, शनिवार : गिद्धौर प्रखंड के मौरा गांव में शनिवार को बाल विवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ समाज को जागरूक करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की गई। स्थानीय मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एकजुट होकर बाल विवाह के खिलाफ हुंकार भरी और गांववासियों को शपथ दिलाते हुए इसे जड़ से समाप्त करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत सामुदायिक मंच पर विशेष जागरूकता अभियान के साथ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण, महिला-पुरुष, युवा एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। मौरा मस्जिद के इमाम मोहम्मद रिजवान अंसारी, शाहजहां अंसारी, जाकिर हुसैन सहित अन्य धर्मगुरुओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि बाल विवाह न केवल बच्चों के जीवन को संकट में डालता है, बल्कि समाज की प्रगति में भी गंभीर बाधा उत्पन्न करता है।

धर्मगुरुओं ने कहा कि नाबालिग बच्चों की शादी उनके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित कर भविष्य को अंधकारमय बनाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा किसी भी धर्म के सिद्धांतों में स्वीकार्य नहीं है और इसे समाप्त करना हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कानून में बाल विवाह पर निर्धारित सजा और इसके सामाजिक-स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणामों पर विस्तार से जानकारी दी। ग्रामीणों से अपील की गई कि वे ऐसी किसी भी शादी की सूचना तुरंत प्रशासन को दें और इस दिशा में चलाए जा रहे कानूनी एवं सामाजिक प्रयासों में सहयोग करें।

इस अवसर पर संस्था के समन्वयक कौशल पांडेय, नागमणि, रंजीत पांडेय समेत दर्जनों ग्रामीणों ने बाल विवाह उन्मूलन के लिए संकल्प लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य देने के लिए यह अभियान पूरे क्षेत्र में व्यापक स्तर पर चलाया जाएगा।

धर्मगुरुओं ने बताया कि 12 से 19 सितंबर तक अंतरधार्मिक सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों के नेताओं को एक मंच पर लाकर बाल विवाह के विरुद्ध मजबूत जनजागरण खड़ा करना है। इसी कड़ी में आगामी दिनों में अन्य धर्मों के धार्मिक नेताओं के साथ भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि समाज के हर वर्ग को इस मुहिम से जोड़ा जा सके।

मौरा गांव से शुरू हुआ यह आंदोलन पूरे जमुई जिले के लिए एक उदाहरण बनकर सामने आया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि धर्मगुरुओं की पहल से गांव-गांव में बाल विवाह के खिलाफ चेतना की लहर दौड़ेगी और इस कुप्रथा को जड़ से मिटाने में मदद मिलेगी।

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