पर्यावरण संरक्षण के साथ महान विभूतियों को किया गया नमन
जमुई। नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर पर्यावरण भारती द्वारा जिला मुख्यालय अंतर्गत बोधवान तालाब स्थित एकलव्य कॉलेज मोड़ के निकट पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्था की ओर से पाइन ट्री, गुलाब, अरहुल, स्नैक प्लांट, शमी, कड़ी पत्ता और लेमन ग्रास सहित कुल 13 पौधे रोपे गए। इस कार्यक्रम का नेतृत्व पर्यावरण भारती के जिला संयोजक महेंद्र कुमार बर्णवाल ने किया।
पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित पर्यावरण भारती के संस्थापक एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि संस्था वर्ष 2008 से ही देश-विदेश के महापुरुषों की जयंती पर पौधारोपण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती रही है। इस पहल का उद्देश्य दोहरा होता है—एक ओर पर्यावरण संरक्षण, दूसरी ओर उन महान विभूतियों की स्मृति को जीवित रखना।
शाण्डिल्य ने कहा, "आज हर कोई पर्यावरण संरक्षण की बड़ी-बड़ी बातें करता है, लेकिन एक पौधा लगाकर पांच वर्षों तक उसे जीवित रखना लोगों के लिए चुनौती बन जाता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम पेड़-पौधों से लाभ तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें लगाना और संवारना अपनी जिम्मेदारी नहीं मानते। सावन में भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करना तो याद रहता है, पर बेल का वृक्ष लगाना भूल जाते हैं।"
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार इन दिनों वन महोत्सव के तहत व्यापक वृक्षारोपण अभियान चला रही है। जमुई वन विभाग की ओर से भी चलंत पौधा विक्रय वाहन के माध्यम से मात्र 10 रुपये प्रति पौधा की दर से लोगों को पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ऐसे में यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि सावन जैसे पवित्र महीने में अपने घर, छत या आसपास कम से कम 10 पौधे जरूर लगाएं।
नेल्सन मंडेला की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में शाण्डिल्य ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के म्वेजो गांव में हुआ था। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और 27 वर्ष तक जेल की कठिन सजा भुगती। वर्ष 1994 में वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1990 में ‘भारत रत्न’ से नवाजा। वे यह सम्मान पाने वाले पहले गैर-भारतीय थे। वर्ष 1993 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
मंडेला के विचारों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, "शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।" उनकी आत्मकथा ‘लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम’ आज भी विश्वभर में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
कार्यक्रम में पौधारोपण के माध्यम से नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर अयांश प्रियम, अंशु कुमारी, मानसी कुमारी, आरुषि कुमारी, खुशबू कुमारी, नेहा कुमारी, प्रीति कुमारी सहित कई बच्चों और पर्यावरण प्रेमियों ने भी भाग लिया। पौधारोपण के इस पुनीत कार्य को सभी ने सराहा और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों में सक्रिय भागीदारी का संकल्प लिया।