अलीगंज/जमुई। मनरेगा योजना को लेकर अलीगंज प्रखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। बिना कार्य कराए मजदूरों के फर्जी फोटो अपलोड कर डिमांड डाली जा रही है। यह मामला इन दिनों पूरे प्रखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस घोटाले का खुलासा अलीगंज बाजार निवासी मनोज मेहता द्वारा आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से हुआ है। उन्होंने बताया कि अलीगंज पंचायत में आरटीपीएस के तहत 37 तालाबों की खुदाई और 10 बांधों के निर्माण का दावा किया गया है, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि इनमें से 30 तालाब और 3 बांध तो अस्तित्व में ही नहीं हैं। इसके बावजूद योजनाओं की संपूर्ण राशि निकाल ली गई है।
मनोज मेहता ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने पूर्व में तत्कालीन जिलाधिकारी अभिलाशा शर्मा, डीडीसी और मुंगेर कमिश्नर को भी शिकायत दी थी। हालांकि जांच के आदेश दिए गए, लेकिन आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो सकी। उन्होंने प्रधान सचिव और पीएमओ को भी इस घोटाले की जानकारी दी है।
स्थानीय ग्रामीण चिन्टू कुमार, मुकेश यादव, चंदन कुमार, शंकर यादव, उमेश कुमार, मनोज कुमार और पूर्व मुखिया रामकली मेहता सहित कई लोगों ने बताया कि मनरेगा योजना अलीगंज में "कामधेनु" बन चुकी है। अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से सिर्फ कागजों पर काम दिखाकर राशि निकाल ली जाती है।
ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा तालाब घोटाले की अब तक जांच पूरी नहीं हुई है और इसी बीच अब चार नए तालाबों की खुदाई के लिए भी फर्जी डिमांड तैयार कर दी गई है। मजदूरों के नाम पर फर्जी फोटो अपलोड कर डिमांड पास कराई जा रही है। फोटो में मजदूर खुले मैदान या सड़क किनारे खड़े नजर आ रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि न तो कोई काम हुआ और न ही फोटो स्थल प्रामाणिक है।
इस पूरे मामले पर जिलाधिकारी नवीन कुमार ने कहा कि उन्हें शिकायतें प्राप्त हुई हैं। जांच कराई जाएगी और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। यह प्रकरण एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि ग्रामीण विकास योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं और निगरानी तंत्र पूरी तरह फेल साबित हो रहा है।