गिद्धौर/जमुई/पटना/बिहार (Gidhaur/Jamui/Patna/Bihar), 9 जून 2025, सोमवार : हिंदी साहित्य जगत के वरिष्ठ कवि, समाजसेवी एवं पत्रकार प्रभात सरसिज का सोमवार की सुबह 4:25 बजे पटना में निधन हो गया। वे लंबे समय से वृद्धावस्था जनित बीमारियों से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। उनके निधन की खबर से गिद्धौर सहित पूरे जमुई जिले में शोक की लहर दौड़ गई।
उनका अंतिम संस्कार पटना के दीघा घाट पर संपन्न हुआ, जहां उनके बड़े पुत्र अभिषेक कुमार सिन्हा ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर छोटे पुत्र धनंजय कुमार सिन्हा, भतीजे पूर्णाभ शरद, नीलाभ शरद, राजीव रावत समेत परिवार के अन्य सदस्य एवं सगे-संबंधी उपस्थित रहे। इस दुखद सूचना की पुष्टि उनके भतीजे सुशांत साईं सुंदरम ने की।
साहित्य, समाज और मानवीय सरोकारों का रहा गहरा जुड़ाव
प्रभात सरसिज न केवल हिंदी साहित्य के एक सशक्त स्तंभ थे, बल्कि सामाजिक सेवा में भी उनका योगदान अविस्मरणीय रहा। उनकी कविताएँ, लेख और चिंतन समाज को जागरूक करने वाले थे, जिनका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी बना रहेगा।
जनप्रतिनिधियों ने जताया शोक
झाझा विधायक दामोदर रावत ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "प्रभात सरसिज जी एक प्रेरणास्रोत थे। उनका साहित्यिक और सामाजिक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। मेरा उनसे व्यक्तिगत संबंध था, उनके विचार और मार्गदर्शन हमेशा स्मरणीय रहेंगे।"
जमुई विधायक श्रेयसी सिंह ने भी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, "प्रभात सरसिज जी का निधन हिंदी साहित्य और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। वे अपनी रचनाओं के माध्यम से हमेशा जीवित रहेंगे।" उन्होंने सरसिज जी की एक प्रसिद्ध कविता की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी:
"सदी कांपती हुई अस्त हो रही है,
सागर में ठहाका लगाता हुआ वह
बार-बार कहता है -
तुम्हारे सुरक्षा की जिम्मेवारी मुझ पर है!"
साहित्यिक और सामाजिक जगत में शोक
बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह ने कहा, "प्रभात सरसिज जी का लेखन और सामाजिक चेतना समाज को एक नई दिशा देते रहे। हिंदी साहित्य में उनका योगदान सदैव अमर रहेगा।"
उनके मित्र कवि ज्योतींद्र मिश्र, पूर्व प्रखंड प्रमुख श्रवण यादव, भाजपा मंडलाध्यक्ष राजाबाबू केशरी सहित कई साहित्यप्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रभात सरसिज जी की साहित्यिक यात्रा और सामाजिक चेतना आज भी समाज को नई सोच, नई दिशा और सच्ची मानवीय संवेदनाओं का संदेश देती है। उनका जीवन और कृतित्व आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर रहेगा।