गिद्धौर/जमुई। वट सावित्री पूजा के अवसर पर गिद्धौर में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु की कामना के साथ पूरे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ व्रत रखा और वट सावित्री पूजा संपन्न की।
इस मौके पर गिद्धौर के ऐतिहासिक पंच मंदिर परिसर, बाबा बूढ़ा नाथ मंदिर परिसर और क्षेत्र के अन्य धार्मिक स्थलों पर वट वृक्ष (बड़ के पेड़) के नीचे महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी महिलाओं ने वटवृक्ष की पूजा की और सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा सुनी, जिसमें सावित्री अपने तप और दृढ़ संकल्प से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाती हैं। यह कथा स्त्रियों को साहस, श्रद्धा और प्रेम की प्रेरणा देती है।
महिलाओं ने विधिपूर्वक व्रत रखकर वटवृक्ष की सात बार परिक्रमा की, धागा लपेटा और जल, पुष्प, रोली, चना आदि से पूजा की। पूजा के बाद सुहागिनों ने एक-दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर अखंड सौभाग्य की कामना की। यह दृश्य महिला सशक्तिकरण, आपसी सौहार्द और सामाजिक समरसता का प्रतीक बना।
पूरे क्षेत्र में पूजा को लेकर उत्सव का माहौल रहा। मंदिर परिसर भक्ति संगीत और मंत्रोच्चार से गुंजायमान रहा। स्थानीय दुकानों पर पूजन सामग्री की भी खूब खरीदारी हुई।
वट सावित्री पूजा केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में स्त्री के समर्पण, शक्ति और विश्वास का जीवंत उदाहरण भी है। गिद्धौर की महिलाएं इस परंपरा को सजीव बनाकर समाज में सांस्कृतिक चेतना और आस्था को सुदृढ़ कर रही हैं।