गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 20 मार्च 2025, गुरुवार : रबी व खरीफ सीजन के बीच जिले के किसान गरमा फसलों की खेती करेंगे। इसको लेकर जिला कृषि विभाग ने वर्ष 2025 में गरमा फसलों में शामिल मूंग,मक्का,तिल व सूर्यमुखी की खेती के लिए प्रखंडवार लक्ष्य निर्धारित कर दिया है।इसके अनुसार जिले भर में हजारों हेक्टेयर भूमि में गरमा फसलों की खेती की जाएगी।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी गरमा फसलों की खेती के लिए जिले को बीच का आवंटन प्राप्त हो गया है। जिले के किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित अनुदानित दर पर बीज का वितरण किया जाएगा। बता दें कि रवि सीजन की खेती का लक्ष्य पूरा हो चुका है। करीब एक महीने बाद फसल तैयार हो जाएगी और कटनी शुरू हो जाएगी। इसके बाद से लेकर करीब 3 महीने बाद ही खरीफ फसलों की खेती की कवायद शुरू होगी। इस बीच खेत खाली रहेंगे और जिले के किसान गरमा फसलों की खेती कर सकेंगे। रवि व खरीफ सीजन के बीच की अवधि गरमा फसलों के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है।इस अवधि में खेती करने से फसल की अच्छी पैदावार होगी। रवि अभियान के तहत फसल की कटनी का कार्य पूर्ण होने के बाद जिले में गरमा, मूंग, गरमा मक्का व सूर्यमुखी की खेती की जाएगी।
कृषि विभाग रबी की समाप्ति व खरीफ की खेती प्रारंभ होने के बीच की अवधि में गरमा फसल की बुवाई की तैयारियों में अभी से लग गया है। इसके लिए सभी प्रखंडो के लिए बकायदा लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लक्ष्य के अनुरूप सभी प्रखंडो में गरमा, मूंग, तिल, मक्का व सूर्यमुखी की खेती की जाएगी।कृषि विभाग रबी की समाप्ति व खरीफ की खेती प्रारंभ होने के बीच की अवधि में गरमा फसल की बोआई की तैयारियों में अभी से लग गया है।इसके लिए सभी प्रखंडो के लिए बकायदा लक्ष्य निर्धारित किया गया है।लक्ष्य के अनुरूप सभी प्रखंडों में गरमा,मूंग,तिल,मक्का व सूर्यमुखी की खेती की जाएगी।
गरमा फसल की खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए किसानों को बिहार सरकार के राज्य बीज निगम की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा। जिला से किसानों के मोबाइल पर ओटीपी जाता है। वह ओटीपी लेकर प्रखंड के चिन्हित बीज विक्रेता के यहां जाकर वह सीधे तौर पर बीज प्राप्त कर सकते हैं। एक किसान को अधिकतम 2 हेक्टेयर यानी 5 एकड़ तक के बीच उपलब्ध कराई जाती है। तो जिन किसान को लाभ चाहिए तो जल्द ही सारी प्रक्रिया पूरी कर बीज ले सकते हैं। गरमा मूंग,तिल,मक्का व सूर्यमुखी की फसल को तैयार होने में मात्र तीन माह का वक्त लगता है।
कृषि विभाग ने बताया कि अप्रैल से जून माह की अवधि गरमा फसल के लिए सबसे अधिक उपयुक्त होती है। इस बीच किसानों के खेत रबी व खरीफ की खेती के बीच की अवधि में खाली रहते हैं।इसी खाली अवधि में गरमा मूंग,गरमा मक्का,गरमा तिल व गरमा सूरजमुखी की खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है। जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो सकेगी। इसलिए जिले के किसानों को जल्द से जल्द गरमा फसलों के बीच वितरण शुरू होने का इंतजार है।