जमुई/बिहार। जिला कलेक्टर राकेश कुमार की अध्यक्षता में समाहरणालय के संवाद कक्ष में फाइलेरिया की रोकथाम हेतु फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण बैठक आहूत की गई।
जिला कलेक्टर ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि फाइलेरिया विकलांगता का परिचायक है। जिला में इसके खात्मे के लिए 10-24 फरवरी तक सघन अभियान चलाया जाएगा। इस मुहिम में 1067 टीम जिले के 1900 से ज्यादा गांव जाकर करीब 21 लाख पात्र लोगों को मुफ्त में दवा खिलाएंगे और उन्हें इस भयानक रोग से दूर रखेंगे। उन्होंने कारा अधीक्षक , सभी बीडीओ , सीओ , बीईओ , जीविका समेत तमाम संबंधित अधिकारियों एवं कर्मियों को अभियान को सफल बनाने का निर्देश देते हुए कहा कि 95 प्रतिशत उपलब्धि नितांत जरूरी है। डीएम ने तल्ख लहजे में कहा कि कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीडीसी सुमित कुमार ने कहा कि प्रतिनियुक्त टीम फाइलेरिया के लक्षण और बचाव के बारे में भी जानकारी देंगे। इस दौरान गर्भवती महिलाओं , गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग व 02 साल से कम के बच्चों को दवा नहीं खिलाई जाएगी। अभियान को सफल बनाने के लिए एक टीम में दो आशा कार्यकर्ता रहेंगी। 103 सुपरवाइजर अभियान का अनुश्रवण करेंगे। 1540 आशा , 52 आगनवाड़ी सेविका और 475 कार्यकर्त्ता बेहतर तरीके से दायित्वों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। डीडीसी ने इस मुहिम को युद्ध स्तर पर सफल बनाने का ऐलान किया।
सिविल सर्जन डॉ. कुमार महेंद्र प्रताप ने बताया कि जिले में लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए करीब 21 लाख लोगों को डीआईसी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक खिलाई जाएगी। दवा की खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त में खिलाएंगे।
उन्होंने बताया कि 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चों , गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर व्यक्तियों को यह दवा नहीं खिलाई जाएगी। हाइड्रोसील , हाथीपांव , महिलाओं के स्तन में सूजन आदि फाइलेरिया रोग के मुख्य लक्षण हैं। यह रोग क्यूलैक्स मादा मच्छर के काटने से फैलता है।
बताया कि जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर यह मच्छर रात के समय किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है। फाइलेरिया रोग के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उन्हें भी इस रोग से ग्रसित कर देता है। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहता है और लंबे समय बाद इसका पता चलता है। इस बीमारी का करगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है। फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखने पर भी दवा का सेवन करना जरूरी है।
डॉ. प्रताप ने बताया कि फाइलेरिया रोग प्रबंधन के लिए दो साल से ऊपर व पांच साल से छोटे बच्चों को डीआईसी और एल्बेंडाजोल की एक-एक टेबलेट दी जाएगी। 05 साल से ऊपर 15 साल से छोटे बच्चों को डीआईसी की एक टेबलेट और एल्बेंडाजोल दो टेबलेट दी जाएंगी जबकि 15 साल के ऊपर सभी लोगों को डीआईसी की तीन टेबलेट और एल्बेंडाजोल की एक टेबलेट दी जाएगी।
उन्होंने इस बीमारी का लक्षण बताते हुए कहा कि बुखार , बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। सिविल सर्जन ने मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करने का संदेश देते हुए कहा कि घर के आस-पास कूड़ा एकत्र न होने दें। कूड़ादान का प्रयोग करें। घर के आस-पास गंदा पानी एकत्र न होने दें। गंदे पानी पर समय-समय पर केरोसिन डालते रहें। चोट या घाव वाले स्थान को हमेशा साफ रखें। उन्होंने नागरिकों को इस रोग से बचने के लिए दवा के साथ सजग और सचेत रहने का संदेश दिया।
डीपीएम पवन कुमार समेत तमाम संबंधित अधिकारी और कर्मी बैठक में उपस्थित थे।
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