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जमुई : राष्ट्रीय लोक अदालत में उमड़ा हुजूम, 13 बेंचों पर एक हजार से ज्यादा मामलों का निदान

जमुई (Jamui), 10 सितंबर 2023 : राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सौजन्य से शनिवार को स्थानीय व्यवहार न्यायालय परिसर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया। इस अदालत में वादकारियों का हुजूम उमड़ पड़ा। राष्ट्रीय लोक अदालत की कार्यवाही कनूनी वातावरण में संपन्न हुआ।

परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अनंत सिंह, एडीजे सह प्रभारी अध्यक्ष धीरेंद्र बहादुर सिंह, पुलिस अधीक्षक डॉ. शौर्य सुमन, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सह एडीजे पवन कुमार समेत अन्य न्यायिक पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर अदालत का शुभारंभ किया।

प्रभारी अध्यक्ष सह एडीजे श्री सिंह ने इस अवसर पर कहा कि निर्धारित लोक अदालत में कुल 13 बेंच का गठन कर एक हजार से ज्यादा प्रकरणों की सुनवाई की गई और विधि सम्मत ढंग से इसका निस्तारण किया गया।

उन्होंने राष्ट्रीय लोक अदालत के मकसद को रेखांकित करते हुए कहा कि छोटे से छोटे वादों का आपसी समझौता के आधार पर निपटारा कर लोगों को सम्मान की जिदगी जीने का अवसर देना ही इसका लक्ष्य है। नियमित अदालतों में दिन - ब - दिन मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसके कारण लोगों को समय से न्याय नहीं मिल पाता है।

राष्ट्रीय लोक अदालत न्यायालय की लंबी प्रक्रिया और खर्च से बचने का एक सरल उपाय है। यह अदालत न्याय का एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां न कोई पक्षकार होता है और ना ही कोई प्रतिवादी। ना किसी की हार होती है और ना ही किसी की जीत। बस आपसी समझौता के आधार पर दोनों पक्ष विजयी होते हैं। जबकि अदालती प्रक्रिया में एक की हार तो दूसरी की जीत होती है। लोग सकारात्मक सोच के साथ इसका लाभ उठाएं ताकि अदालत पर खर्च की जाने वाली राशि का उपयोग वे अपने परिवार के उत्थान में कर सकें। उन्होंने इसे पक्षकारों के लिए अत्यंत लाभकारी करार दिया।
परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अनंत सिंह ने कहा कि लोक अदालत एक ऐसी अदालत है जिसमें मामलों का निपटारा पक्षकारों की पारस्परिक सहमति से किया जाता है। इसका मकसद न्याय आपके लिए होता है। इस अदालत में ना कोई पक्षकार होता है और ना ही कोई प्रतिवादी बस आपसी समझौते के आधार पर न्यायालय मुहर लगा देती है और मामला रफा - दफा हो जाता है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा मामलों के निस्तारण के लिए अधिवक्ताओं से सकारात्मक सहयोग की अपील की.

पुलिस अधीक्षक डॉ. शौर्य सुमन ने कहा कि लोक अदालत लोकतंत्र का एक ऐसा मजबूत मंच है , जहां दोनों पक्षों को बिठाकर उनके बीच समझाइश से प्रकरणों का खात्मा किया जाता है। सुलह - समझौता के बाद दोनों पक्षों में पुनः स्नेह , सौहार्द और बंधुत्व का भाव उत्पन्न हो जाता है। उन्होंने भी वादकारियों को लोक अदालत की शरण में आने की सलाह दी।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सह एडीजे पवन कुमार ने मौके पर मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि लोक अदालत का निर्णय मूलतः अंतिम होता है। इसके निर्णय के आगे कोई अपील नहीं होती है। साथ ही मामले के निस्तारण पर पक्षकार अपना न्याय शुल्क वापस भी ले सकते हैं। उन्होंने इसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और पक्षकारों को इसमें आने की सलाह दी।

उन्होंने इसी संदर्भ में कहा कि लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति और रजामंदी से प्रकरणों को निस्तारित किया जाता है। यहां पक्षकारों को शीघ्र और सुलभ न्याय , कोई अपील नहीं , सिविल कोर्ट के आदेश की तरह पालना , अंतिम रूप से निपटारा , समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं।

राष्ट्रीय लोक अदालत से संबंधित उद्घाटन सत्र का मंच संचालन जिला उद्घोषक सह जिला संवाददाता डॉ. निरंजन कुमार ने किया और खूब वाहवाही लूटी। न्यायिक पदाधिकारियों ने डॉ. निरंजन कुमार के द्वारा किए गए मंच संचालन की खूब तारीफ की और उन्हें अशेष शुभकामना दी।

उधर आयोजित लोक अदालत में समाचार प्रेषण तक एक हजार से अधिक प्रकरणों का निपटारा आपसी रजामंदी के आधार पर किया जा चुका है। लोक अदालत से संबंधित न्यायिक कार्य जारी है। इस अवसर पर अधिकांश न्यायिक पदाधिकारी , विद्वान अधिवक्ता एवं भारी संख्या में पक्षकार उपस्थित हैं।

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