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रुक्मिणी द्वारा जलाए गए शैक्षणिक ज्योत से जगमगा रहे हैं गरीबों के आशियाने

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 19 मई 2023 : गिद्धौर के जुबान पर शिक्षा के क्षेत्र में अपने कामयाबी की इबारत लिखने में रुक्मिणी झा एक बड़ा नाम है। यह नाम प्रखर समाजसेविका, नारी शिक्षा उत्प्रेरक वाहक के रूप पूरे इलाके में लिया जा रहा है।

रुक्मिणी की संघर्ष गाथा इतनी लंबी है कि उसके लिए अल्फाज भी ऋणी हो जाए। गिद्धौर की पुत्रवधु रुक्मिणी बताती हैं कि उनके इस त्याग और समर्पण से समाज के लड़कियों को संदेश देना चाहती है कि वे घर की देहरी लांघकर अपने घर-परिवार व समाज के हित में रोजगार कर विकलांग मानसिकता पर सकारात्मक सोच को ला सकती हैं।
गिद्धौर की बहू रुक्मिणी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में जलाए गए ज्योति से आज कई गरीबों के आशियाने जगमगा रहे हैं।अपने मायके झाझा मे रहकर घर, ससुराल व परिवार के पांच सदस्यों की जवाबदेही का संतुलित बोझ उठाकर तकरीबन दो दर्जन गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उन्हें पठन-पाठन सामग्री भी मुहैया कराने वाली रुक्मिणी का मानना है कि महिलाएं पुरुषों की बराबरी में रोजगार कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार कर अपने परिवार को सहयोग कर सकती हैं। जिस दिन महिलाओं ने महिलाओं को समझना, उनकी सराहना करना और आगे बढ़ने को हिम्मत देने की शुरूआत कर दी, उसी दिन से पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री अपनी पहचान स्थापित करने में कामयाब हो जाएंगी।

शिक्षा के क्षेत्र में रुक्मिणी के योगदान को देखते हुए उन्हें जिलस्तर पर 'रत्नम' सम्मान एवं राज्यस्तर पर लेट्स इन्सपाइर बिहार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। 

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