जमुई/बिहार (Jamui/Bihar), 24 फरवरी : 26 नवंबर 2015 को, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की कि 1 अप्रैल 2016 से राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। सीएम ने आधिकारिक तौर पर 5 अप्रैल 2016 को पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की, और एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सभी प्रकार की शराब पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
बिहार में शराबबंदी के 7 साल होने को आया लेकिन जमीनी स्तर पर यह कितना सफल है, इसकी बानगी देखने को मिल रही है। बिहार में शराब को दुकानें जरूर बंद हो गईं लेकिन शराबियों ने शराब पीना बंद नहीं किया। इस मौके का फायदा उठाते हुए कई लोगों ने इसमें आजीविका का अवसर देखा और शराब की तस्करी करने लगे।
आए दिन नकली और जहरीली शराब से शराबियों के बीमार होने और मौत की खबरें भी आती रहती हैं। जमुई चूंकि झारखंड से सटा हुआ जिला है, ऐसे में शराब की उपलब्धता यहां सुगमतापूर्वक हो जाती है। त्योहारों पर इसकी मांग अधिक रहती है। मनमाने दामों पर तस्कर इसे बेचते हैं।
इन सबके बावजूद भी खुलेआम शराब की खाली बोतलें और शराब के नशे में धुत शराबी नजर आ ही जाते हैं। शराब की खाली बोतलें कभी चारदीवारी के भी भीतर, तो कभी नाले के किनारे, तो कभी कूड़े के ढेर पर और तो और कभी बंद घर के आगे नजर आ ही जाते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही शराबबंदी को लेकर समर्पित हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर तस्करों और शराबियों में शराबबंदी कानून का खौफ धीरे–धीरे कम होता जा रहा है। हाल ऐसा है कि शराब बिकता तो नहीं, लेकिन दिख जरूर जाता है।
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