गिद्धौर में मकर संक्रांति पर खूब हुई तिलकुट की बिक्री, बाजार में रही भीड़ - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

A venture of Aryavarta Media

Post Top Ad

Post Top Ad

Saturday, 14 January 2023

गिद्धौर में मकर संक्रांति पर खूब हुई तिलकुट की बिक्री, बाजार में रही भीड़

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 14 जनवरी
👉 रिपोर्ट : सुशांत साईं सुंदरम
मकर संक्रांति को लेकर शुक्रवार को गिद्धौर बाजार तिलकुटों से सजा रहा. पूरे बाजार में तिल और गुड़ की सोंधी खुशबू लोगों को अपनी ओर खींचती रही. बाजार में तिलकुट के कई अस्थाई दुकानें भी खुली रहीं. वहीं कई कारीगर तुरंत ही तैयार कर  तिलकुट बेचते नजर आए. गिद्धौर और आसपास के गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में इसकी खरीददारी करते दिखे.

गिद्धौर बाजार के तिलकुट विक्रेता चन्दन गुप्ता ने बताया कि मकर संक्रांति पर खास तौर पर तिलकुट की मांग होती है. दिसंबर से ही इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. ऐसे तो 10 दिसंबर के बाद से तिलकुट की बिक्री शुरू हो जाती है. लेकिन बिक्री में तेजी जनवरी से आती है. एक जनवरी के जश्न के बाद लोग तिलकुट खरीदने लगते हैं. यह सिलसिला मकर संक्रांति के एक सप्ताह आगे तक चलता है.

तिल को कूट कर होता है तैयार, इसलिए नाम है तिलकुट
तिलकुट बनाने में जुटे कारीगर राजकुमार गुप्ता ने बताया कि तिल को कूट कर तिलकुट तैयार किया जाता है. इसलिए इसका नाम तिलकुट पड़ा है. इसे बनाने के लिए पहले तिल को गर्म करते हैं. उसके बाद उसे गुड़ या चीनी के रान में मिलाते हैं. फिर लोही बना कर उसे कूटकर विभिन्न आकारों में ढाला जाता है.

वहीं तिलकुट कारीगर बमबम केशरी ने कहा कि तिल की मात्रा अधिक और गुड़ की मात्रा कम रहने से तिलकुट खस्ता बनता है। इसमें साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस वर्ष तिल के दाम में तेजी होने के कारण तिलकुट महंगा हुआ है. तिलकुट निर्माण में कारीगर को बहुत मेहनत भी करना पड़ता है.

ठंड में तिल खाने का वैज्ञानिक कारण
बता दें कि इस सीजन में तिलकुट खाने का वैज्ञानिक कारण भी है. दरअसर तिल की तासीर गर्म होती है। इसलिए ठंड में खास तौर पर इसका सेवन किया जाता है. आयुर्वेद में भी तिल के सेवन के कई फायदे बताए गए हैं. 

Post Top Ad