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जमुई : केडिया में विश्व मृदा दिवस आयोजित, डीएम बोले - भोजन सामग्री के लिए मिट्टी जरूरी

बरहट/जमुई (Barhat/Jamui), 5 दिसम्बर : विश्व मृदा दिवस अथवा वर्ल्ड सॉइल डे हर साल 05 दिसंबर को आयोजित किया जाता है। हमारा भविष्य स्वस्थ मिट्टी पर निर्भर करता है। दुनिया में मिट्टी के बिना कोई खाद्य सामग्री संभव नहीं है। हमारा 95 प्रतिशत भोजन मिट्टी से आता है।


      जिला कलेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने उक्त बातें बरहट प्रखंड अंतर्गत केडिया गांव में विश्व मृदा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करने के उपरांत कही। उन्होंने आगे कहा कि 18 प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक तत्व पौधों के लिए आवश्यक है जो मिट्टी में ही निहित है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के चलते 2050 में वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में 60 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी। इसके लिए मिट्टी की सुरक्षा जरूरी है।

डीएम ने आगे कहा कि विश्व मृदा दिवस 2022 और इसके अभियान " मृदा: जहां भोजन शुरू होता है " का उद्देश्य मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करके मिट्टी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समाज को प्रोत्साहित करके स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने और इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। सारा जीवन मिट्टी से शुरू और मिट्टी में खत्म होता है। यह दूसरों को भोजन , दवा और हमारे पानी को छानने का स्रोत है। हममें से अधिकांश लोग मिट्टी को हल्के में लेते हैं और मान लेते हैं कि वह हमेशा आस - पास रहेगी। लेकिन यह सच्चाई से कोसों दूर है। 0.4 इंच मिट्टी बनने में 1000 साल से ज्यादा का समय लगता है।
   जिलाधिकारी ने कहा कि 2002 में मृदा विज्ञान के अंतर्राष्ट्रीय संघ ने मिट्टी के बारे में जागरूकता फैलाने और मनाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस बनाने की सिफारिश की। यह थाईलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के नेतृत्व में किया गया एक आंदोलन था। इस जहां की सबसे कीमती प्राकृतिक संसाधन के लिए उनकी दृष्टि और जुनून ने आंदोलन को नेतृत्व , आकार और मार्गदर्शन किया।

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने विश्व मृदा दिवस की औपचारिक स्थापना का समर्थन किया। स्वस्थ मिट्टी के महत्व के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच बनाने का विचार था। 2013 में एफएओ सम्मेलन ने सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और 68 वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे आधिकारिक रूप से अपनाने का अनुरोध किया। 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 05 दिसंबर को पहले आधिकारिक विश्व मृदा दिवस के रूप में नामित किया।
यह दिन थाईलैंड के दिवंगत राजा का आधिकारिक जन्मदिन भी होता है , जिन्होंने आधिकारिक तौर पर इस आयोजन को मंजूरी दी थी। यह उनकी स्मृति का सम्मान करता है और इस दिन को वास्तविकता बनाने के लिए उनके अविश्वसनीय काम का सम्मान करता है। यह दिन हमें इस अविश्वसनीय प्राकृतिक संसाधन की सराहना करने की याद दिलाता है। मिट्टी हमारे भोजन का स्रोत के साथ पारिस्थितिक तंत्र के भोजन का भी स्रोत है। उन्होंने स्कूलों में भी मृदा दिवस मनाए जाने और इसके महत्व से बच्चों को अवगत कराए जाने पर बल दिया।

डीएम ने सखिक़ुरा मध्य विद्यालय के छात्र आर्यन कुमार और छात्रा सीमा कुमारी के द्वारा विद्यालय में की जा रही जैविक खेती को अन्य लोगों के लिए अनुकरणीय करार दिया। श्री सिंह ने विश्व मृदा दिवस के अवसर पर अन्नदाताओं का हॄदयतल से अभिनंदन किया और उनके स्वर्णिम भविष्य की कामना की।

       कार्यक्रम को ग्रीनपीस इंडिया के प्रतिनिधि रोहीन कुमार , जीवित माटी किसान समिति के प्रतिनिधि आनंदी यादव , संतोष , सैफ , शिव कुमार चौधरी , राज कुमार यादव , निर्मला देवी , मुन्नी मुर्मू समेत केडिया के कई किसानों ने संबोधित किया और मिट्टी के महत्व पर प्रकाश डाला। उधर विद्यालय की बेटियों ने भी विश्व मृदा दिवस पर अपने - अपने विचार प्रकट किए और मिट्टी के लाभ को परिभाषित किया। कार्यक्रम उत्सवी माहौल में संपन्न हो गया।

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