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प्रो. आनंद कुमार बोले - बिहार राजनीति की प्रयोगशाला, पीके पर है देश की निगाहें

पटना। जन सुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर के द्वारा 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर भितिहरवा से प्रारंभ किए गए पदयात्रा के 1 माह पूरे होने के अवसर पर बुधवार को जन सुराज के पटना मुख्यालय में एक जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें बतौर मुख्य अतिथि  चर्चित शिक्षाविद और समाजवादी चिंतक प्रोफेसर आनन्द कुमार शामिल हुए। मंच संचालन जन सुराज के मुख्यालय प्रभारी धनंजय कुमार सिन्हा ने किया।

इस अवसर पर जन सुराज अभियान से जुड़े कई वरिष्ठ जन उपस्थित थे। अपने संबोधन में आनन्द कुमार ने देश के मौजूदा राजनीतिक हालातों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब गोवा जैसे राज्यों में पांच-पांच हजार में एक वोट बिक रहे हैं, ऐसे में बिहार की जनता अभी भी जागृत है।
उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है, यहां जेपी-लोहिया-कर्पूरी जैसे समाजवादी चिंतक हुए जिन्होंने देश को नई दिशा दी। ऐसे में बिहार जैसे प्रांत में राजनीति की अस्मिता अभी भी जीवित है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की सभा का आयोजन बिहार में हो रहे हैं ऐसी परिस्थितियां बगल के राज्य उत्तर प्रदेश में नहीं हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर कहा कि वहां कोई बुलडोजर बाबा है जो हर चीज पर बुलडोजर चला देता है, लोकतंत्र का गला घोट देता है। 
आम आदमी पार्टी को आड़े हाथ लेते हुए आनंद कुमार ने कहा कि राजनीति में कुछ लोग जनाक्रोश को सत्ता के लिए अवसर मात्र के तौर पर देखते हैं। उनके पास न नीति है और न ही नीयत, और जल्दी बाजी में प्रदेश की राजनीति में छा जाना चाहते थे। वे खुद भी भी उस अभियान में शामिल थे। बाद में उन्हें सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ी।

उन्होंने प्रशांत किशोर के बारे में कहा कि जब चारों तरफ अंधकार रहता है तब कोई भी रोशनी आशा का द्योतक होता है, देश-प्रदेश की राजनीति में प्रशांत किशोर के अभियान को लोग एक नई उम्मीद की तरह देख रहे हैं।  बिहार में राजनीतिक जागृति है यहां की युवा बदलाव चाहते हैं, लेकिन यह बदलाव जल्दबाजी से नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में कोई दल या संगठन बनाकर जल्दबाजी में नहीं है। उन्होंने जन सुराज के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों के मन को टटोलने की जो नीति अपनाई है, उससे बेहतर विकल्प सामने सामने आयेगा।
मौके पर जन सुराज के वरिष्ठ नेता मोहन मुरारी झा, श्रीराम  कॉलेज (दिल्ली) के प्राध्यापक तरूण मांझी, साहित्यकार प्रभात सरसिज, प्रख्यात समाजवादी गौतम गुप्ता, जनसुराज महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका रेखा सोरेन, रेणु जी, तकनीकी छात्र संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरव पटेल, साहित्यकार शहंशाह आलम, नसीम अख्तर, समाजसेवी राजन सिंह, तौशीफ आलम, पंकज कुमार, अधिवक्ता राजीव रंजन, अंजुम बारी, लेखक अंकुर झा आदि भी मौजूद थे।

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