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जमुई : शराबबंदी सफल बनाने के लिए बच्चों ने निकाली प्रभातफेरी, दुष्परिणामों से किया आगाह

जमुई (Jamui), 26 नवंबर : जमुई शहर के अधिकांश पाठशालाओं के पुत्र और पुत्रियों ने शनिवार को नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर शराबबंदी अभियान की सफलता को लेकर शहर में प्रभातफेरी निकाली। इस दौरान स्कूली बच्चों ने "अपनी बेटियां करे पुकार-पापा मदिरा है बेकार", "महिलाओं का सपना साकार-शराब मुक्त हुआ बिहार" आदि भावपूर्ण नारे लगाते हुए लोगों से शराब का सेवन न करने की अपील की। प्रभातफेरी में शामिल बच्चे जमुई शहर के मुख्य मार्गों से गुजरे और लोगों को नशाबंदी का संदेश दिया।
उधर स्थानीय कलाकार बसंत जी के नेतृत्व में कला जत्था की टीम भी शहर के कचहरी चौक, बोधवन तालाब चौक, रेलवे स्टेशन आदि भीड़-भाड़ वाले चुनिंदा स्थानों पर गीत और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को शराब नहीं पीने का संदेश दिया और इससे होने वाले नुकसान का जीवंत रूप प्रस्तुत किया। साथ ही नशा मुक्ति दिवस पर लोगों से सजग और सचेत रहने की अपील की।

जिला शिक्षा पदाधिकारी कपिलदेव तिवारी ने समाहरणालय प्रवेश द्वार के समीप से विद्यालय के बेटे और बेटियों के साथ कला जत्था टीम को झंडी दिखाकर रवाना करते हुए कहा कि नारकीय जीवन से बचने के लिए नशा से तौबा करें। उन्होंने नशा को सामाजिक, आर्थिक, शारिरीक और नौतिक नुकसान पहुंचाने वाला कारक करार देते हुए कहा कि परिवार में अमन-चैन के साथ प्रतिष्ठा पूर्वक तरक्की के लिए इससे बचना ही होगा।
उत्पाद अधीक्षक संजीव कुमार ठाकुर नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर कहा कि शराबबंदी मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। राज्य की खुशहाली के लिए इसे आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने इसी संदर्भ में कहा कि 26 नवंबर 2016 को शराबबंदी कानून अस्तित्व में आया था। इसके बाद पूरे प्रदेश में शराब पीना, पिलाना और निर्माण करना अवैध हो गया। शराबबंदी कानून लागू होने के बाद पूरे बिहार में शराब पर बैन लगा दिया गया है।

श्री ठाकुर ने कहा कि 26 नवंबर को शराबबंदी कानून के अस्तित्व में आने के चलते ही इस तिथि को हर साल नशा मुक्त दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने इससे बचने की अपील की।
शिक्षा विभाग के डीपीओ शिवकुमार शर्मा समेत कई पाठशालाओं के प्रधान, विद्वान शिक्षक-शिक्षिका एवं गणमान्य जन प्रभातफेरी में शामिल हुए और इसे सफल बनाया।

बताते चलें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किए जाने के बाद लगातार इस पर पाबंदी लगाए जाने को लेकर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस महकमे से लेकर पंचायत के आम नागरिकों को अहम जिम्मेवारी देते हुए इस पर रोक लगाने की अपील की गई है।

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