जमुई (Jamui), 16 अक्टूबर : डीडीसी शशि शेखर चौधरी की अध्यक्षता में विश्व हाथ धुलाई दिवस मनाया गया। उन्होंने दिवस की शुरुआत करते हुए कहा कि स्वस्थ रहने के लिए हाथों को साफ रखना जरूरी है। हाथ धोना हमारे लिए कितना जरुरी है, कोरोना के कारण यह तो हम बखूबी से समझ चुके हैं। हाथ धुलने से बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है।
बीते साल जब कोविड :19 जैसी जानलेवा बीमारी ने दस्तक दी, तब सबको एक ही हिदायत दी गई कि किसी भी चीज को छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। साबुन से 30 सेकंड तक हाथ धोएं। इससे हम हैजा, डायरिया, निमोनिया और कोविड-19 जैसी वैश्विक बीमारी को भी परास्त कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस साल विश्व हाथ धुलाई दिवस पर विशेष जोर दिया जा रहा है ताकि लोग हाथों की सफाई को लेकर सतर्क और सचेत रहें। सिर्फ हाथ धुलने से हम कई बिमारियों से बच सकते हैं। यही कारण है कि इस साल हाथ धुलाई दिवस का ग्लोबल थीम "सभी के हाथों की स्वच्छता के लिए एक जुट हों" है। इसका अर्थ है सबका हाथ साफ हो क्योंकि स्वच्छता ही जीवन का आधार है।
डीडीसी ने कहा कि अगर हम पुरानी परम्परा की बात करें तो किसी भी नवजात शिशु को 06 दिन तक किसी अन्य व्यक्ति के हाथ में नहीं दिया जाता था ताकि गंदे हाथों की वजह से उसे संक्रमण न हो जाए। अभी भी लोगों को हिदायत दी जाती है कि बच्चे को गोद में लेने से पहले हाथ जरुर साबुन से साफ करें।
उन्होंने कहा कि बच्चों में 50 प्रतिशत तक कुपोषण सिर्फ साफ पानी न पीने और हाथों को अच्छी तरह साफ न करने से होता है। इस वजह से बच्चों में डायरिया का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। बच्चों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। वे अगर बार-बार साफ पानी से हाथ न धोएं तो बैक्टीरिया और जर्म उन पर हावी हो जाते हैं जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है।
श्री चौधरी ने कहा कि हर नागरिक को भोजन के पहले और शौचालय के बाद साबुन और साफ पानी से हाथ धोना चाहिए। शोध के दौरान पाया गया कि स्कूल में ज्यादातर बच्चे सिर्फ एक बार ही हाथ धोते हैं। वे अपने गंदे हाथों को बार-बार नाक, हाथ, मुंह और आंखों तक लेकर जाते हैं। इससे बैक्टीरिया उनके शरीर में प्रवेश करता है। यही बिमारियों का सबसे बड़ा कारण है।
उन्होंने कहा कि हाथ धुलाई सिर्फ एक अच्छी आदत ही नहीं बल्कि भारत जैसे देश में अलग-अलग धर्मों में इसका महत्व है। हाथ धुलाई को आध्यात्मिक शुद्धता से भी जोड़ा गया है। जैसे मंदिरों और मस्जिदों में प्रवेश करने से पहले हाथों की शुद्धता पर जोर दिया जाता है। पुराने समय में घरों के बाहर लोग पानी की व्यवस्था रखते थे ताकि जो भी मेहमान घर आएं, वह पहले हाथ और पैर धोंए फिर घर के अंदर प्रवेश करें। मेहमान सिर्फ खुशियां लेकर आएं, बीमारियां नहीं। इस हाथ धुलाई दिवस पर हम भी एक अच्छी आदत आपनाएं। आसपास के लोगों को हाथ धुलाई के लिए जागरूक करें ताकि एक कदम स्वच्छता की ओर बढ़ सके।
उधर विश्व हाथ धुलाई दिवस के अवसर पर लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के अंतर्गत संचालित "हमारा स्वच्छ सुंदर गांव" मुहिम के तहत गांवों को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए जिले के सभी प्रखंडों में स्वच्छता ग्राहियों के माध्यम से विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ सार्वजनिक स्थानों पर हाथ धुलाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया और लोगों को इसे आत्मसात किए जाने का संदेश दिया गया।
इधर लक्ष्मीपुर प्रखंड अंतर्गत कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में खास तौर पर विश्व हाथ धुलाई दिवस का आयोजन किया गया। बीडीओ प्रभात रंजन ने पाठशाला की बेटियों को प्लास्टिक को "ना" कहने का संदेश देते हुए उन्हें भोजन के पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोने के लिए प्रेरित किया।
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