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छठ की छटा में सराबोर हुआ जमुई, डीएम ने दिया अर्घ्य तो एसपी ने व्यवस्था का लिया जायजा

जमुई (Jamui), 30 अक्टूबर : केरवा जे फरेला घवद से ओहपर सुग्गा मंडराय... मरबो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरछाई..., कांच ही बांस के बहंगियां बहंगी लचकत जाए होई न बलमजी कहरिया बहंगी घाटे पहुंचाई... जैसे छठ गीतों से जमुई का नदी, तालाब आदि जलस्रोतों पर निर्मित छठ घाट गूंज उठा।
जिला कलेक्टर सूर्योपासना का महापर्व  छठ के पावन अवसर पर खैरमा घाट पर स्थापित भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की और जमुई के साथ राज्य और देश के खुशहाली का वर मांगा।
इस अवसर पर डीएम की दुलारी सुता किआन, एसडीएम अभय कुमार तिवारी, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार समेत कई अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे। पूजनोपरांत डीएम ने अधिकारियों के साथ छठ घाट पर उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया और इस पर संतोष जताया।
पुलिस कप्तान डॉ. शौर्य सुमन भी लोक आस्था का महापर्व छठ के मौके पर जिला में अमन - चैन कायम रखने के लिए सजग और सचेत नजर आए। उन्होंने जमुई , झाझा समेत कई छठ घाटों का दौरा किया और प्रशासनिक एवं पुलिस व्यवस्था पर संतोष प्रकट किया। डॉ. सुमन ने श्रद्धालुओं से शांति के वातावरण में पर्व मनाने की अपील की।
उधर लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर रविवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देने जनसागर उमड़ पड़ा। छठ व्रतियों ने छठ गीत गाते हुए पूजन सामग्री अर्पित की। श्रद्धालुओं ने व्रतियों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया। 
अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य देने के लिए छठ व्रतियों ने निर्जला व्रत रखा है , जो सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर इसका समापन करेंगे। अपराह्न से ही छठ व्रतियों का किऊल नदी समेत अन्य जलस्रोतों के तट पर आगमन शुरू हो गया था। परिवार के पुरुष और महिला पूजा सामग्री सिर पर लेकर चल रहे थे।
अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए घाट पर बैठी महिलाओं के द्वारा गाये जा रहे गीतों से घाट गूंजता रहा। छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी महिलाओं तथा परिजनों का हुजूम किऊल नदी घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य देने उमड़ा। सम्बंधित लोगों ने तय समय पर अस्ताचलगामी सूर्य को भक्ति तथा श्रद्धा के साथ अर्घ्य दिया। पूजा सामग्री के साथ नदी तट पर छठ पूजा  पूरी अस्था के साथ की गई। इस दरम्यान छठ मइया के गीतों से नदी तट गुंजायमान होता रहा।
महापर्व के चौथे और अंतिम दिन उदयाचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। उदयाचल सूर्य को नदी में खड़े होकर अर्घ्य देने की प्रक्रिया सुबह तक जारी रहेगी। इस दिन व्रतधारियों के परिवार के सभी सदस्य संयुक्त रूप से पूजा में हिस्सा लेकर भगवान सूर्य और छठी माता की उपासना करेंगे।
उधर घाटों पर मेला जैसा वातावरण था। बच्चे पटाखे के साथ आतिशबाजी कर खूब आनंदित हुए। कई घाटों पर खेल - तमाशा और झूला भी दृष्टिगत हुआ। बच्चों ने इसका भी जमकर लुफ्त उठाया।

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