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जमुई : समाहरणालय में गुरु सम्मान समारोह आयोजित, सम्मानित हुए शिक्षक

जमुई (Jamui), 5 सितंबर : जिला कलेक्टर अवनीश कुमार सिंह (DM Avanish Kumar Singh) ने समाहरणालय के संवाद कक्ष में शिक्षक दिवस के अवसर पर हिंदी दैनिक "राष्ट्रीय सहारा" के बैनर तले आयोजित गुरु सम्मान समारोह 2022 का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ करते हुए कहा कि शिक्षक समाज के साथ राष्ट्र के निर्माता माने जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि समय के साथ - साथ हमारे देश में शिक्षा की प्रणालियाँ विकसित होकर बदलती गई पर आज भी शिक्षक को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। जीवन के विभिन्न मोड़ पर हमें अलग - अलग शिक्षकों की आवश्यकता होती है। 

उन्होंने कहा कि सिर्फ सामान्य मानव ही नहीं हमारे संस्कृति में भगवान माने जाने वाले राम और कृष्ण के भी गुरू थे। इसीलिए शिक्षक दिवस की इस अवधारणा के पहले भी और आज भी गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है। यूनेस्को द्वारा 05 अक्टूबर को शिक्षक दिवस के रूप में अपनाया गया। परंतु भारत में देश के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvapalli Radhakrishnan) के जन्मदिन 05 सितंबर को  शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है और उन्हें प्रेरणा स्रोत के रूप में नमन किया जाता है।
डीएम ने कहा कि सामान्य तौर पर हम यह समझते हैं कि जो हमें पढ़ाते हैं वे ही शिक्षक होते हैं। हां यह बात सही है पर इसके साथ हम जिस किसी से भी शिक्षा प्राप्त करते हैं या कोई भी चीज सीखते हैं वह हमारा शिक्षक बन जाता है। हमारे संस्कृति में शिक्षक के लिए गुरू शब्द का प्रयोग किया गया है। गुरू का विश्लेषण करने पर हमारे सामने जो अर्थ आता है वह है : " अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला "। इस प्रकार हमारी संस्कृति में गुरू के लिए बहुत व्यापक शब्द है। उन्होंने उपस्थित शिक्षकों को कर्तव्य का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि निष्ठा के साथ देश के भविष्य प्यारे - प्यारे बच्चों के जीवन को सजाना , संवारना और निखारना आपका दायित्व है। 

समाहर्त्ता ने इस अवसर पर जिले के विभिन्न प्रखंडों के कई विद्वान शिक्षक और विदुषी शिक्षिकाओं को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और उनके सेहतमंद जीवन की कामना की।

डीईओ कपिलदेव तिवारी , सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी आर. के. दीपक , राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो चीफ मदन शर्मा ,  संजय जी आदि ने भी शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित  गुरु सम्मान समारोह में हिस्सा लिया और गुरुजनों को अशेष शुभकामना दी। 
सर्वविदित है कि 05 सितंबर 1888 को जन्मे राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और विद्वान शिक्षक होने के साथ - साथ बड़े राजनेता भी थे। बचपन से ही वे मेधावी प्रकृति के थे। उन्हें 12 वर्ष की अल्पायु में ही बाईबल याद हो गई थी और उन्होंने कला संकाय की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। उसके बाद उन्होंने दर्शन शास्त्र से एम.ए. किया। तत्पश्चात वह मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। कालक्रम में वे आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी प्राध्यापक के रूप में कार्य किया।

इसके अलावे वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में चांसलर के पद को भी सुशोभित किया। अपने अध्यापन के दौरान वे दर्शन जैसे गूढ़ विषय को दिलचस्प ढंग से पढ़ाते थे। उन्हें तेलुगु के अलावा हिन्दी , संस्कृत और अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान था। वे संविधान निर्माता सभा के सदस्य के रूप में 1947- 49 तक कार्यरत थे। 1952 में उन्हें उपराष्ट्रपति चुना गया तथा 1962 में वे देश के दूसरे राष्ट्रपति बने। उनका नाम सोलह बार साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए तथा ग्यारह बार शांति हेतु नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। 1952 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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