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संतान प्राप्ति को लेकर प्रसिद्ध है अलीगंज बाजार की दुर्गा माता का मंदिर

अलीगंज/जमुई (Aliganj/Jamui), 28 सितंबर
■ रिपोर्ट : चंद्रशेखर आजाद
■ संपादन : अपराजिता
कोई संतान नहीं होने पर 1969 से अलीगंज बाजार निवासी सोमर साव संतान प्राप्ति को लेकर अलीगंज (Aliganj) में माँ दुर्गा (Maa Durga) मंदिर की नींव एक पीपल पेड के नीचे पांच वर्षो तक माता की प्रतिमा स्थापित पूजा अर्चना की शुरुआत किया और माता की कृपा से उन्हे संतान की प्राप्ति हुई।

पांच वर्षो तक अपने खर्च से माता की पूजा की सारी जिम्मेदारी संभाला और तब से दुर्गा माता की प्रतिमा स्थापित कर अलीगंज बाजार वासियों के द्वारा पुजा अर्चना की जा रही है। यहां माता की पुजा अर्चना के बाद पाठा की बलि देने की परंपरा है। मुख्य मार्ग से एक किलोमीटर अंदर बाजार में है माता की मंदिर।

नवादा-सिकंदरा मुख्य मार्ग से एक किलोमीटर अंदर बाजार में माता दुर्गा की मंदिर है। जहां आने जाने के लिए वाहन की सुविधाएं उपलब्ध है। मंदिर आने के लिए चारो तरफ से रास्ता है। लोग संतान प्राप्ति को लेकर बडी संख्या में माता के दरवार में मिननते मांगने आते है।
शारदीय नवरात्र पर लगता है मेला
यहाँ प्राचीन समय से ही नवरात्र के मौके पर सप्तमी, अष्टमी, नवमी एवं दशमी को मेला का आयोजन होता है।इस मेले के दौरान माँ का आशीर्वाद लेने भक्त दूर-दूर से आते हैं। भक्तों का सैलाब अलीगंज अंदर बाजार में ही रहता है। 

भक्तों की है अपार श्रद्धा
 प्रखंड के अलीगंज पंचायत में स्थापित माता दुर्गा की मन्दिर में संतान प्राप्ति के लिए प्रत्येक साल हजारों भक्त पहुंचते हैं। इस मंदिर में कई प्रकार की कहानियाँ व आस्था व विश्वास का बिन्दु जुड़ी हुई है। प्रतिमा बनाने के लिए बाहर से मूर्तिकार माता की मूर्ति बनाने के लिए आते हैं।

अलीगंज प्रखंड के सभी पंचायतों के विभिन्न गांवों से इस दुर्गा मंदिर  के प्रति भक्तों में अटूट आस्था है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगते है और कामना करते है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। इस बार भी पूजा समितियों द्वारा माता की मंदिर में भव्य पंडाल बनाया गया है।
पूजा समिति के अध्यक्ष सह अलीगंज पैक्स अध्यक्ष दिलीप साव ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गई थी। मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। साथ ही भक्ति जागरण कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे।

मेला का मुख्य आकर्षक का केन्द्र गुफा तैयार किया गया है जिससे लोग अंदर-अंदर ही मंदिर तक पहुंच जाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जो माता की पूजा अर्चना के पहले दिन से ही शुरू हो चुका है।

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