■ रिपोर्ट : चंद्रशेखर सिंह
● संपादन : अपराजिता
अलीगंज प्रखंड के क्षेत्र में महिलाओं ने शनिवार को नहाय खाय के साथ रविवार को 24 घंटो के लिए निर्जला उपवास रखकर अपने-अपने पुञो के लंबी व स्वस्थ जीवन की कामना की और जिउत मोहन बाबा की पुजा अर्चना किया।
क्यों मनाया जाता है जिउतिया व्रत?
ऐसी मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान पिता की मौत होने से अस्वाथामा को बहुत अघात पहुंचा था। वे क्रोधित होकर पांडवो के शिविर में घुस गये थे और वहां सो रहे पांच लोगों को पांडव समझकर मार डाला था।ऐसी मान्यता है कि वे सभी संतान द्रोपदी के थे। इस घटना के बाद अर्जुन ने अस्वाथामा को गिरफ्त में ले लिया। उनसे दिव्य मणि छीन ली थी।
अस्वाथामा ने क्रोध में आकर अभिमन्यु के पत्नी के गर्भ में भी पल रहे बच्चे को मार डाला। ऐसे में अजन्मे बच्चे को कृष्ण ने अपने दिव्य शक्ति से पुनः जीवित कर दिया। इस बच्चे का नामकरण जीवित्पुत्रिका के तौर पर किया गया। इसी के बाद से संतान की लंबी उम्र हेतु माताओं मंगल कामना करती हैऔर हर साल जिउतिया व्रत को विधि विधान के अनुसार पुरा करती हैं।
जिउतिया व्रत की शुरूआत नहाय खाय के साथ ही होती है। महिलाएं अपने पुत्रों के उन्नति व आरोग्य के लिए रखती है और कथा सुनती हैं।
व्रत प्राण के दिन महिलाओं कई प्रकार की सब्जियां व पुआ, पुडी, ठेकुआ सहित कई प्रकार की भोजन भी बनाती हैं और जिउतमोहन बाबा को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करती है। फिर सगे संबंधियों को भी बुलाकर प्रसाद खिलाती हैं।
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