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गिद्धौर : 11 जुलाई को बाबा कोकिलचंद के आषाढ़ी पूजा के साथ शुरू होगी धान की रोपाई

गंगरा/गिद्धौर (Gangra/Gidhaur), 10 जुलाई
◆ रिपोर्ट : सुशांत साईं सुन्दरम
लोकदेवता बाबा कोकिलचंद का परंपरागत वार्षिक आषाढ़ी पूजा सोमवार, 11 जुलाई को गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत गंगरा गांव स्थित बाबा कोकिलचंद धाम मंदिर परिसर में मनाया जाएगा।

बता दें कि धान की रोपाई शुरू होने से पहले आषाढ़ महीने में प्रत्येक वर्ष लोकदेवता बाबा कोकिलचंद की पूजा की जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि बाबा कोकिलचंद की पूजा करने के बाद धान की रोपाई शुरू करने से फसल व अन्न की रक्षा होती है। साथ ही गांव में सुख, शांति व समृद्धि बनी रहती है।

गांववासियों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक आषाढ़ी पूजा संपन्न होने के बाद ही गंगरा में माँ काली का वार्षिक पूजन होता है। तदोपरांत आषाढ़ की पूजा के बाद सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने में कोकिलचंद बाबा का बामर पूजन स्थगित रहता है।
इसके पश्चात मार्गशीर्ष महीने में कोकिलचंद बाबा का नवान्न पूजन के बाद ही बामर पूजन और नए धान का चावल खाने के उपयोग में लिया जाता है। नवान्न पूजा में ब्राह्मणों द्वारा चावल, दाल एवं खीर का भोग बाबा कोकिलचंद को लगाया जाता है

गंगरा निवासी विद्वन डॉ. लखन लाल पांडेय ने बताया कि गिद्धौर राज रियासत के शासक चंदेलवंशी महाराजा हरि सिंह ने बाबा के यश, कीर्ति, पूजा-अर्चना और मंदिर विकास के लिए सोलह बीघा जमीन दान किया था। इसी गिद्धौर रियासत जमीन के सेवायत लाभ से बाबा कोकिलचंद का आषाढ़ और मार्गशीर्ष महीने का वार्षिक पूजन होता है।

वहीं स्थानीय निवासी शिक्षक व बाबा कोकिलचंद विचार मंच ट्रस्ट के संयोजक चुनचुन कुमार ने बताया कि वर्ष 2010 से गिद्धौर के गंगरा गांव स्थित निर्माणाधीन बाबा कोकिलचंद का भव्य मंदिर निर्माण कार्य व सौंदर्यीकरण कार्य ट्रस्ट के माध्यम से संचालित हो रहा है।


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