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Friday, 13 May 2022

सिमुलतला : इंटरनेशनल नर्स-डे पर बैद्यनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग में कार्यक्रम आयोजित

सिमुलतला/झाझा/जमुई (Simultala/Jhajha/Jamui), 13 मई 
◆ रिपोर्ट : सुशांत साईं सुन्दरम
◆ इनपुट : अमित कुमार
इंटरनेशनल नर्स डे (International Nurse Day) के अवसर पर जिलान्तर्गत झाझा प्रखंड के सिमुलतला स्थित बैद्यनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग, पैरामेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल (Baidyanath Institute of Nursing, Paramedical Sciences and Hospital) में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत बैद्यनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग, पैरामेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल के चेयरमैन सतीश कुमार पाश्यउल द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत में निदेशक लाल बहादुर यादव एवं राजेश कुमार सिंह ने बच्चों को नर्स-डे पर विस्तार से जानकारी देते हुए समाज सेवा किए जाने की बात कही।
निदेशक लाल बहादुर यादव ने बताया कि 1965 में इंटरनेशल काउंसिल ऑफ नर्स (INC) ने इंटरनेशनल नर्स डे को मनाना शुरू किया था। इस दिन यानी 12 मई को मॉर्डन नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। फ्लोरेंस एक समाज सुधारक और इंग्लिश नर्स (English Nurse) थीं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल वह थी जिन्होंने नर्सिंग के प्रोफेशन में अपने कदम रखे और इसे एक प्रसिद्ध प्रोफेशन बना दिया।
वहीं निदेशक राजेश कुमार सिंह विश्व के सभी हेल्थ वर्कर में आधे से ज्यादा योगदान नर्सों का है लेकिन तब भी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, दुनिया भर में नर्सों की बेहद कमी है, विशेष रूप से लो इनकम देशों और मिडिल इनकम वाले देशों में 5.9 मिलियन और नर्स की आवश्यकता है। इनका महत्व हमें कोरोना के दौरान और अधिक देखने को मिला जब पूरी दुनिया के लिए किसी भी धन से ज्यादा जरूरी हो गया था स्वास्थ्य। इस त्रासदी के समय मेडिकल स्टाफ खासतौर पर डॉक्टरों और नर्सों ने अपनी चिंता छोड़ मानव जाति को बचाने में अपनी सारी शक्ति लगा दी। लेकिन डॉक्टर को तो हर कोई क्रेडिट देता है लेकिन नर्सों को अक्सर वो सम्मान और क्रेडिट नहीं मिलता जो उन्हें मिलना चाहिए।
बैद्यनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग, पैरामेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल में पढ़ने वाले ज्योति कुमारी, शुभम कुमार, वीरू कुमार, प्रकाश कुमार, अमित कुमार, अमरजीत कुमार ने भी इंटरनेशनल नर्स डे पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर अमरीन खान सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं की सक्रिय भूमिका रही।

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