गिद्धौर अवस्थित रावणेश्वर संस्कृत महाविद्यालय में ज्योतिष विभाग के प्राध्यापक डॉ. विभूति नाथ झा ने शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं. इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, गुरुवार 7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. कलश स्थापना एवं पाठ संकल्प का मुहूर्त सुभ 5:41 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक है.
वहीं गहवरा प्रवेश रविवार 10 अक्टूबर को होगा. जबकि विल्वाभिमंत्रण यानि बेल भरनी माय को न्योता षष्ठी 11 अक्टूबर को दिया जायेगा. पत्रिका प्रवेश सप्तमी, मंगलवार 12 अक्टूबर को किया जायेगा.
डॉ. विभूति नाथ झा ने बताया कि महाष्टमी निशा पूजा सप्तमी उपरांत अष्टमी मंगलवार 12 अक्टूबर को होगा. अष्टमी तिथि मंगलवार 12 अक्टूबर की रात 9:48 मिनट से प्रारंभ होगा. निशा पूजा में ही तांत्रिक विधानों द्वारा गिद्धौर की ऐतिहासिक माँ दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा कर आराधना की जाएगी. महाष्टमी व्रत यानि जगरना बुधवार 13 अक्टूबर को है.
वहीं गुरुवार 14 अक्टूबर को महानवमी है. इस दिन बलिप्रदान होगा. जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 5:45 बजे से दोपहर 2:21 बजे तक है.
इस वर्ष दुर्गा पूजा 9 दिनों का है. विजयादशमी दशहरा शुक्रवार 15 अक्टूबर को है. इस सन्दर्भ में डॉ. विभूति नाथ झा ने बताया कि मंत्रोच्चार द्वारा प्रतिमा विसर्जन के सभी विधान सुबह 5:45 बजे से 8:27 बजे तक एवं पुनः सुबह 10:56 बजे से दोपहर 2:10 बजे तक है. वहीं प्रवाह के लिए मंदिर से प्रतिमा बाहर निकाले जाने का समय दोपहर 2:50 बजे के बाद शाम 5 बजे तक है.
बता दें कि गिद्धौर के कई रिवाज बंगाल के प्रथाओं से मिलते जुलते हैं. अतएव विजयादशमी के 5 दिनों बाद शरद पूर्णिमा की तिथि को यहाँ माँ महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. विभूति नाथ झा ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा मंगलवार 19 अक्टूबर को शाम 7:05 बजे के बाद 7:58 बजे तक पूजन संकल्प किया जायेगा.
वहीं मंत्रोच्चार द्वारा माँ महालक्ष्मी की प्रतिमा विसर्जन के सभी विधान बुधवार 20 अक्टूबर को सुबह 10:05 बजे से 11:30 बजे तक एवं पुनह दोपहर 12:55 बजे से शाम 2:10 बजे तक किये जा सकेंगे. जबकि प्रवाह के लिए मंदिर से प्रतिमा बाहर निकाले जाने का समय शाम 4:10 बजे से शाम 5:40 बजे तक का है.
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