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गिद्धौर के सरकारी स्कूलों में कमजोर पड़ी प्रतिबद्धता की डोर, UMS कुड़ीला में बिन मास्क पहुंचे नौनिहाल

 


【GIDHAUR/न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा 】 :- कोरोना महामारी के कारण करीब साल भर बाद पचास फीसद बच्चों की उपस्थिति के साथ सरकार ने जहाँ स्कूल को अनलॉक करने के फ़रमान जारी कर दिए हैं, वहीं सरकारी स्कूलों में ही सरकार के कोरोना गाइडलाइन हवा हवाई नजर आ रही है। यूं कहें कि, मासूम बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से जारी कोविड-19 गाइडलाइन का पालन सरकारी स्कूलों में ही नहीं किया जा रहा है। 

इसकी बानगी गिद्धौर के कुडिला (UMS Kudila) स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में भी देखने को मिली जहां, एक भी शिक्षार्थी ने मास्क का प्रयोग नहीं किया था। विधि व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में रहने वाले इस विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों द्वारा भी बच्चों को इससे अवगत नहीं कराया गया था। कमोबेश यह स्थिति गिद्धौर के सभी सरकारी विद्यालयों की है। 

गौरतलब है कि, एक ओर निजी स्कूलों में थर्मल स्कैनर से जांच करने के बाद ही बच्चे एवं शिक्षकों को मास्क के साथ प्रवेश करने की अनुमति दे रही है। वहीं, दूसरी ओर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा विभाग इस व्यवस्था में फेल नजर आ रही है। ऐसे में अगर कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो स्कूल व प्रबन्धन ही सवालों के घेरे में होंगे । हालाँकि, पूरे प्रकरण से अवगत कराने पर बीआरपी विकास कुमार ने स्वीकारा है कि शिक्षकों व बच्चों को विद्यालय में मास्क जरूरी है, मास्क न पहनना जांच का विषय है, इसके बाद सहित कार्रवाई होगीं । पर यहां लचर व्यवस्था में सरकारी स्कूलों के दहलीज़ पर महामारी से बचाव के प्रतिबद्धता की डोर इतनी कमज़ोर है कि ये न सिर्फ विभाग को सवालों के कठघरे में खड़ी कर रही है, बल्कि इससे देश के भविष्य पर भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है।



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