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गिद्धौर : भगवान भरोसे 2000 एकड़ भूमि की सिंचाई, किसानों ने किया सांकेतिक प्रदर्शन


【 News Desk | अभिषेक कुमार झा】 :- प्राकृतिक सौन्दर्य और नदियों से घिरे रहने के बावजूद गिद्धौर में सिंचाई व्यवस्था को अनुकूल मंच नहीं मिल सका है। अपने खेतों में मेहनत की उपज करने के लिए अन्नदाता आज भी परंपरागत सिंचाई प्रणाली से विमुख होकर सिंचाई के अन्य विकल्प तलाशते नजर आते हैं । विभाग के उपेक्षापूर्ण नीति से गिद्धौर प्रखण्ड क्षेत्र के 2000 एकड़ भूमि की सिंचाई भगवान भरोसे है।  

शायद यही कारण है कि धोबघट व कुमारडीह गांव के किसान विगत दो वर्ष से रवि फसल के पटवन की समस्या से दो चार हो रहे हैं।

किसान नेता कुणाल सिंह ने बताया कि कुमरडीह, धोबघट व सिमरिया में तीन प्रमुख सिंचाई पैईन है, जिससे लगभग 2000 एकड़ भूमि की परंपरागत सिंचाई होती थी । इससे न सिर्फ किसानों को संतोषप्रद अनाज मिलता था बल्कि भूजल स्तर भी बना रहता था। परंतु कुछ वर्षों से सभी सिंचाई पैईन के मृत हो जाने से किसानों के परंपरागत सिंचाई पर ग्रहण लग गया है। नेता कुणाल सिंह ने आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कुमारडीह के बुढ़िया पैईन का निर्माण लगभग 3 करोड़ 64 लाख रुपये के लागत से कराया गया था जो समय से पूर्व ही धराशाई हो गया, जिससे क्षेत्र के किसान पेईन निर्माण के लाभ से वंचित रह गए। 


- विभाग ने फेरा मुँह तो श्रमदान की ओर बढ़े किसान -


अपने खेतों की अस्मिता बचाने के लिए कई दफा विभाग व उनके अधिकारियों के पास किसान फरियादी बने पर विभाग के सुस्त कार्यशैली को देखते हुए किसानों ने श्रमदान का फैसला लिया। श्रमदान के बावजूद जब पक्की दीवार जगह जगह से टूटने लगे तो किसान अब सरकारी महकमे से मदद की आस लगाए बैठे हैं। रामजी प्रसाद सिंह, सतीश कुमार सिंह ,नन्हीं सिंह ,साधु यादव ,जितेंद्र कुमार सिंह ,जाहो पासवान ,संजीत कुमार सिंह, अजय साव ,सुभाष साव ,मांगो शर्मा, बबन सिंह, मुन्ना कुमार, छोटू यादव, किशोर प्रसाद सिंह , सहित दर्जनों किसानों का कहना है कि पैईंन के मृत होते ही परंपरागत सिंचाई पूर्णतः ठप हो गई है। इसके कारण गिद्धौर के धोबघट, सिमरिया, कुमरडीह, गैरूआडीह, पूर्वी-कोलहुआ के सैंकड़ों किसान रवि फसल की खेती नहीं कर पा रहे । 

इधर, मंगलवार को पैईन पर एकत्रित हुए क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने नाराजगी जाहिर करते हुए सांकेतिक प्रदर्शन कर विरोध जताया और जिला प्रशासन से यथाशीघ्र सिंचाई पैईन को दुरुस्त करने की मांग की।

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