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विशेष : रक्तवीरों ने पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

gidhaur.com | न्यूज़ डेस्क

विश्व व्यापी कोरोना त्रासदी में लगातार हो रही आक्सीजन आभाव में अनगिनत मौतें पूरे समाज को पेड़-पौधों का महत्व समझा दिया है। वैसे तो लोग अपना जन्मदिन दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ पार्टी और कहीं घूम कर मानते हैं, वहीं रक्तवीर कुंदन सिंह मेन्सन ने अपने 27 वें जन्मदिन के उपलक्ष्य पर  अपने संस्थान के रक्तवीर साथियों के साथ मिलकर 27 पीपल पौधे का रोपण किया और इन सभी के देखभाल की भी शपथ लेते हुए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
रक्तवीर कुंदन सिंह मेन्सन ने कहा पीपल ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। इसी कारण सनातन धर्म में भी पीपल वृक्ष का बड़ा ही महत्त्व है,वैसे प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है, और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। इतना ही नहीं भारतीय संस्कृति में एक पेड़ लगाना सौ गायों के दान देने के समान माना गया है,इसलिए हमें कम से कम अपने जन्मदिन हो या वैवाहिक वषगांठ या हो कोई अन्य शुभ कार्य उसकी शुरुआत कम से कम एक पैधा लगाकर जरूर करना चाहिए ये संदेश देते हुए रक्तवीर कुंदन कुमार ने अपने रक्तवीर साथियों के साथ मिलकर पौधरोपण किया।   
वहीं, प्रबोध जन सेवा संस्थान (मानव रक्षक रक्तदाता परिवार/मेडिको मित्र/फ्री लीगल ऐड) के संस्थापक सदस्य सुमन सौरभ ने भी रक्तवीर कुंदन को बधाई देते हुए कहा पेड़-पौधे इंसान के लिए जरूरी है, जितना हवा और पानी जरुरी है उसमें भी पीपल ऐसा पेड़ है जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। वहीं , लोगों से उन्होंने अपील की। बताया कि कोरोना की वजह से शुद्ध हवा और ऑक्सीजन का महत्व सभी को समझ आ गया है। ऐसे में लोगों को अधिक से अधिक ऑक्सीजन रिच पौधे लगाने की आवश्यकता है।

जन्मदिन के शुभ अवसर पर मानव रक्षक रक्तदाता परिवार की ओर से पटना के अलोक कुमार, कुंदन कुमार, अमित कुमार, पीयूष शर्मा जहानाबाद से संतोष सहगल, बेगूसराय से रवि किशन आरा से अंजनी सिंह सीतामढ़ी से संतोष कुमार जमुई से ऋषभ भारती कटिहार से अमन कुमार शेखपुरा से डॉ नीलम कुमारी रांची से मनीष अग्रवाल व अन्य जिलों के साथियों ने बधाई एवं शुभकामनायें देते हुए उनके लम्बी आयु एवं स्वस्थ शरीर की कामना की। 

Edited by : Abhishek Kr. Jha

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