Gidhaur.com / न्यूज़ डेस्क (धनन्जय कुमार 'आमोद') :- कोरोना काल में संक्रमण से लड़ने के लिए जहां स्वच्छता को सबसे अचूक हथियार बताया गया है, वहीं गरीबों की भूख मिटाने के लिए सरकारी स्तर पर गिद्धौर साईं सेन्टर में संचालित सामुदायिक किचन स्वच्छता से कोसों दूर है।
![]() |
मुख्य गेट के समीप खुले में फेंका जूठा पत्तल ◆ gidhaur.com |
जब उक्त सामुदायिक किचन की पड़ताल gidhaur.com टीम द्वारा की गई तो मुख्य गेट के महज दो - तीन कदम की दूरी पर जूठे पत्तल फेंके पाए गए। उस पत्तल को लांघकर कई लोग इस किचन में भोजन को पहुंच रहे थे। आलम यह है कि न तो इन्हें हाथ धोने के लिए साबुन उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही सेनेटाइजर ।
ज्ञात हो, जिला प्रसाशन के निर्देश और अंचलाधिकारी रीता कुमारी के मोनिटरिंग में संचालित इस सामुदायिक किचन में रोजाना सैकड़ों की संख्या में बुजुर्ग, नि:सहाय, मजदूर, रिक्शा चालक, ठेला चालक आदि भोजन को पहुंचते हैं, पर लापरवाही के इस बानगी को देख भोजन के इस केन्द्र पर पसरा जूठे पत्तल संक्रमण का माध्यम बन सकता है।
केंद्र पर कूड़ेदान की भी नहीं है व्यवस्था
साईं सेंटर में संचालित हो रहे सामुदायिक किचन पर भोजन के लिए पहुंचने वाले लोगों की भीड़ से एकत्रित हो चुके जूठे पत्तल व कूड़े को संग्रहित करने कर लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा कूड़ेदान की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे सभी जूठे पत्तल केंद्र के बाहर ही खुले में फेंक दिए जाते है।
कुर्सी टेबुल के अभाव में जमीन पर खिलाया जा रहा है खाना
गिद्धौर साईं सेंटर में सामुदायिक किचन में बच्चों व बुजुर्गों को जमीन पर ही कतार में बैठाकर भोजन कराया जा रहा है। जहां बैठने के लिए एक चटाई दी जाती है। कुर्सी टेबल की संख्या में कमी होने पर बच्चे, बुजुर्ग व मजदूर वर्ग के कई लोग नीचे ही बैठकर अपनी पेट की ज्वाला शांत करते दिखाई देते है।
कहते हैं अंचलाधिकारी
इस संदर्भ में पूछे जाने पर अंचल अधिकारी रीता कुमारी ने कहा कि सामुदायिक किचन में साफ सफाई की व्यवस्था की गई है। आंधी और बारिश के कारण जूठे पत्तल एकत्रित हो गए होंगे। गड्ढा करके सभी जूठे पत्तलों को डिस्पोज करने के निर्देश दिए गए है।
Edited by : Abhishek Kr. Jha