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गिद्धौर रेलवे स्टेशन के रेलकर्मी ने टैंकर से निकाला तेल, राजस्व के सेंध पर प्रबंधन बेसुध

 【 न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 : - 

गिद्धौर रेलवे स्टेशन के रेल कर्मी द्वारा रेलवे राजस्व में सेंधमारी का मामला प्रकाश में आया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बुधवार सुबह तकरीबन 7 बजे गिद्धौर रेलवे स्टेशन के आउटलाइन अप रुट में क्रूड ऑयल से भरी एक मालवाहक ट्रेन रुकी, जिसकी टँकी लीक थी। स्थानीय रेलकर्मी द्वारा लीक टैंकर को बंद कराने के बजाय उससे तकरीबन 10 जरकिन तेल निकालकर उसे संग्रहित कर लिया गया। बताया जाता है कि संग्रहित उक्त तेल को स्थानीय रेलकर्मियों, पोर्टर मो. इज़राइल, कर्मी परमानंद द्वारा गिद्धौर रेलवे स्टेशन के आसपास की दुकानों में बेचकर अपनी जेब गर्म कर ली गई। कमोबेश यही बानगी गिद्धौर रेलवे स्टेशन में आये दिन देखने को मिलती है।  

लीक टैंकर से तेल संग्रहित करते रेल कर्मी

विभागीय मापदंडों को ताख पर रख स्टेशन के स्टोर में कभी तेल, कभी अनाज का संग्रहण ऑन ड्यूटी कर्मी अलाउद्दीन, पोर्टर मो. इजराइल, व कर्मी परमानन्द के द्वारा करने की भी बात बताई जा रही है। वहीं,  तेल लीक होने के मामले की जानकारी मिलते ही उसे बंद करवाकर तकरीबन साढ़े 8 बजे ट्रेन को गिद्धौर रेलवे स्टेशन से खोला गया, पर तब तक तथाकथित तौर पर सैंकड़ों लीटर तेल को संग्रहित कर उसे नजदीकी बाजार में कैश करने का कारवां शुरू हो गया था।  यूं तो इस पूरे मामले पर गिद्धौर रेलवे स्टेशन के कर्मी की करतूत gidhaur.com के कैमरे में कैद हो गई, पर स्टेशन प्रबंधक ने इसमें किसी भी कर्मी के शामिल होने की बात को नकारा है।

मालगाड़ी से लीक होने वाला तेल का जरकिन में संग्रहण

बता दें, गिद्धौर रेलवे स्टेशन पर दो आरपीएफ की तैनाती की गई थी, पर फिलहाल आरपीएफ के नहीं होने से रेल प्रबन्धन को शर्मशार करने का ऐसा मामला सामने आते रहा है। ऐसी स्थिति में रात्रि के पहर गिद्धौर  रेलवे स्टेशन व कर्मियों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही मानी जाती है।

बोले प्रबन्धक -

 " कर्मियों की संलिप्तता इसमें नहीं है।  तेल गिरने से आग लगने की संभावना बनी रहती है। यदि कर्मियों ने तेल को संग्रहित किया है तो ये अच्छी बात है । "

       -  रणजीत कुमार

 एस एस, गिद्धौर रेलवे स्टेशन।

खैर , इस पूरे प्रकरण पर स्टेशन प्रबन्धन के गैर जिम्मेदाराना बयान ने पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी है।  तेल लीक होने के बाद जहां विभागीय प्रक्रियाओं के तहत उसे तत्क्षण बंद कराया जा सकता था, पर प्रबन्धन स्वयं संवाददाता को ही नियमों का पाठ पढ़ाने लग गए । अब जो हो, रेल प्रबन्धन के इस मनमाने रवैये से हो रहे राजस्व के नुक़सान की जिम्मेदारी कौन लेगा , लोगों के बीच यह एक यक्ष प्रश्न बना है।

नोट : पूरे प्रकरण से जुड़े हर पहलू का प्रमाण, ऑडियो और वीडियो के रूप में gidhaur.com के पास साक्ष्य के रूप में सुरक्षित है। पत्रकारिता के मापदंडों के मद्देनजर उसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा। 

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